यदि कोई भी ना बोले ओरे ओ रे ओ अभागे कोई भी ना बोले

"यदि कोई भी ना बोले ओरे ओ रे ओ अभागे कोई भी ना बोले यदि सभी मुख मोड़ रहे सब डरा करे तब डरे बिना ओ तू मुक्तकंठ अपनी बात बोल अकेला रे ओ तू मुक्तकंठ अपनी बात बोल अकेला रेतेरी आवाज़ पे कोई ना आये तो फिर चल अकेला रे यदि लौट सब चले ओरे ओ रे ओ अभागे लौट सब चले यदि रात गहरी चलती कोई गौर ना करे तब पथ के कांटे ओ तू लहू लोहित चरण तल चल अकेला रे -गुरूदेव रबिंद्रनाथ टागोर "एकला चलो रे""

 यदि कोई भी ना बोले ओरे ओ रे ओ अभागे कोई भी ना बोले
यदि सभी मुख मोड़ रहे सब डरा करे
तब डरे बिना ओ तू मुक्तकंठ अपनी बात बोल अकेला रे
ओ तू मुक्तकंठ अपनी बात बोल अकेला रेतेरी आवाज़ पे कोई ना आये तो फिर चल अकेला रे
यदि लौट सब चले ओरे ओ रे ओ अभागे लौट सब चले
यदि रात गहरी चलती कोई गौर ना करे
तब पथ के कांटे ओ तू लहू लोहित चरण तल चल अकेला रे

-गुरूदेव रबिंद्रनाथ टागोर

"एकला चलो रे"

यदि कोई भी ना बोले ओरे ओ रे ओ अभागे कोई भी ना बोले यदि सभी मुख मोड़ रहे सब डरा करे तब डरे बिना ओ तू मुक्तकंठ अपनी बात बोल अकेला रे ओ तू मुक्तकंठ अपनी बात बोल अकेला रेतेरी आवाज़ पे कोई ना आये तो फिर चल अकेला रे यदि लौट सब चले ओरे ओ रे ओ अभागे लौट सब चले यदि रात गहरी चलती कोई गौर ना करे तब पथ के कांटे ओ तू लहू लोहित चरण तल चल अकेला रे -गुरूदेव रबिंद्रनाथ टागोर "एकला चलो रे"

एकला चलो रे

#RABINDRANATHTAGORE

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