आंगन में वो बूढ़ा शजर याद आता है उजड़ चुका है फिर | हिंदी शायरी

"आंगन में वो बूढ़ा शजर याद आता है उजड़ चुका है फिर भी मगर याद आता है चैन मुझे परदेस में कैसे मिल जाए सूना मुझे अजदाद का घर याद आता है राशिद यूसुफ जई ©Rashid Yusuf Zai"

 आंगन में वो बूढ़ा शजर याद आता है
उजड़ चुका है फिर भी मगर याद आता है
चैन मुझे परदेस में कैसे मिल जाए
सूना मुझे अजदाद का घर याद आता है
राशिद यूसुफ जई

©Rashid Yusuf Zai

आंगन में वो बूढ़ा शजर याद आता है उजड़ चुका है फिर भी मगर याद आता है चैन मुझे परदेस में कैसे मिल जाए सूना मुझे अजदाद का घर याद आता है राशिद यूसुफ जई ©Rashid Yusuf Zai

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