वाणी की मधुरता
वाणी की मधुरता, जो पहचान देती,
संस्कारों की सज्जा का मान देती।
जीवन का पल वो आनंदित होता,
खुशियों की लहर का सावन होता।
खुशी भी मिलती अपरम्पार,
दु:ख की रहे न तब दरकार।
कोई सुने जब वही हर्षाय,
मुश्किल से भी न घबराय।
चिंता मिटती देखो तब ऐसी,
दुविधा रहे न फिर कोई कैसी।
उस क्षण जैसे वरदान मिला हो,
नहीं किसी से कोई गिला हो।
वाणी की मधुरता है शुभ काम,
मिलता जैसे कोई पावन धाम।
कभी न इससे विमुख होना है,
मन के चैन को क्यों खोना है।
इसी से बढ़ती है फिर शान,
सबके दिलों में भी स्थान।
पसंद देव भी उनको करते,
जो दूजों के मन को हरते।
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देवेश दीक्षित
©Devesh Dixit
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वाणी की मधुरता
वाणी की मधुरता, जो पहचान देती,
संस्कारों की सज्जा का मान देती।
जीवन का पल वो आनंदित होता,
खुशियों की लहर का सावन होता।