#टीसती है अनकही मेरी व्यथाएं
टीसती है अनकही मेरी व्यथाएं
बंद है मन के कारा में कितनी कथाएं
हैं गवाह इनका आंसुओ से भींगा दामन
टुकड़ा टुकड़ा बिखरा है कितना ये मन
उलझी उलझी सी है ये जिंदगी
भार सांसों का अब सह ना पाए ये तन
तकती आंखें कबसे आसमां को
जाने कब होगा अपना मिलन
हे पथिक तुम भूल गए क्या
प्यार का वो सुखद मधुर क्षण
©Savita Suman
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