तिल-तिल मर रहा हूं तेरी यादों में, तुम बिन जिंदगी | हिंदी कविता

"तिल-तिल मर रहा हूं तेरी यादों में, तुम बिन जिंदगी जीतें जाना, मुझे पसंद नहीं। टुकडे-टुकडे जी रहा हूं तेरे बिना, कोई और ख्बाव , मुझे पसंद नहीं। डूबा हूं कुछ इस तरह तुझ में, कि किसी और के अल्फाज़, मुझे पसंद नहीं।                                ----------आनन्द ©आनन्द कुमार"

 तिल-तिल मर रहा हूं तेरी यादों में,
तुम बिन जिंदगी जीतें जाना, मुझे पसंद नहीं।

टुकडे-टुकडे जी रहा हूं तेरे बिना,
कोई और ख्बाव , मुझे पसंद नहीं।

डूबा हूं कुछ इस तरह तुझ में,
कि किसी और के अल्फाज़, मुझे पसंद नहीं।

                               ----------आनन्द

©आनन्द कुमार

तिल-तिल मर रहा हूं तेरी यादों में, तुम बिन जिंदगी जीतें जाना, मुझे पसंद नहीं। टुकडे-टुकडे जी रहा हूं तेरे बिना, कोई और ख्बाव , मुझे पसंद नहीं। डूबा हूं कुछ इस तरह तुझ में, कि किसी और के अल्फाज़, मुझे पसंद नहीं।                                ----------आनन्द ©आनन्द कुमार

#आनन्द_गाजियाबादी
#Anand_Ghaziabadi

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