बढ़े पग प्रेम के पथ पर शूल हूल दिखाते हैं
बिंध कर ही पुष्प प्रभु के ह्रदय का स्पर्श पाते है
चुनौतियों की विफलताओं से कतई बनती नहीं
सफलताओं की छत्रछाया आसानी से मिलती नहीं
किसी को गिरा कर चल सको तो चलो तो सही
कहने वाले भी गिर जाते हैं जरा सी नजर हटते ही
होशियारों की होशियारी भी रह जाती है धरी की धरी
सखी बांह पकड़ने आ जाते हैं जहां स्वयं श्री हरी
बबली भाटी बैसला
©Babli BhatiBaisla
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