नज़रे करम मुझ पर इतना न कर,  की तेरी मोहब्बत के लिए | हिंदी शायरी

"नज़रे करम मुझ पर इतना न कर,  की तेरी मोहब्बत के लिए बागी हो जाऊं,  मुझे इतना न पिला इश्क़-ए-जाम की, मैं इश्क़ के जहर का आदि हो जाऊं ©Himanshu Singh"

 नज़रे करम मुझ पर इतना न कर, 
की तेरी मोहब्बत के लिए बागी हो जाऊं, 
मुझे इतना न पिला इश्क़-ए-जाम की,
मैं इश्क़ के जहर का आदि हो जाऊं

©Himanshu Singh

नज़रे करम मुझ पर इतना न कर,  की तेरी मोहब्बत के लिए बागी हो जाऊं,  मुझे इतना न पिला इश्क़-ए-जाम की, मैं इश्क़ के जहर का आदि हो जाऊं ©Himanshu Singh

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