दीप ______ एक दीप जल राहा है..... सुनसान बंजर घरा | हिंदी कविता Video

"दीप ______ एक दीप जल राहा है..... सुनसान बंजर घराने में आग दहक रही है सीमित मिट्टी के ढांचे में खामोशी और सन्नाटे से घिरा हुआ ये घर कितना भयानक है हँसी के नश्वर दाग उर में निरंतर पीड़ा लिए हुए ये दीप दहक राहा है चूल्हे में जलती लखड़ी थाल अभी भी खाली है पीने को पानी तो है खाने को खाना नहीं भूख से सन्नाटे में डूबी हुई आंखों से ये दीप जल रहा है आंखे देखती एक–दूजे को जैसे बरसो से ना देखा हो ! पर चुप रहती है एक दम नजरो की खामोशी से ये ये दीप जल रहा है ________ अभिषेक सरकार ©Abhi Roy "

दीप ______ एक दीप जल राहा है..... सुनसान बंजर घराने में आग दहक रही है सीमित मिट्टी के ढांचे में खामोशी और सन्नाटे से घिरा हुआ ये घर कितना भयानक है हँसी के नश्वर दाग उर में निरंतर पीड़ा लिए हुए ये दीप दहक राहा है चूल्हे में जलती लखड़ी थाल अभी भी खाली है पीने को पानी तो है खाने को खाना नहीं भूख से सन्नाटे में डूबी हुई आंखों से ये दीप जल रहा है आंखे देखती एक–दूजे को जैसे बरसो से ना देखा हो ! पर चुप रहती है एक दम नजरो की खामोशी से ये ये दीप जल रहा है ________ अभिषेक सरकार ©Abhi Roy

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