मेरे पास तुम्हें देने के लिए बसन्त है। तुम्हारे | हिंदी कविता

"मेरे पास तुम्हें देने के लिए बसन्त है। तुम्हारे शहर की गलियां पर बेहद तंग हैं।। ©मुसाफ़िर क़लम"

 मेरे पास तुम्हें देने के लिए 
बसन्त है। 

तुम्हारे शहर की गलियां 
पर बेहद तंग हैं।।

©मुसाफ़िर क़लम

मेरे पास तुम्हें देने के लिए बसन्त है। तुम्हारे शहर की गलियां पर बेहद तंग हैं।। ©मुसाफ़िर क़लम

कश्मकश!

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