White किसी को राह चलते तुम यूँ ही पसंद आई थी ,
किसी को देखते ही किसी की जिंदगी मुस्कुराई थी ;
तुम सीख रही थी खाना बनाना किसी के लिए ,
और किसी के हिस्से में बस सूखी रोटियां आई थी ;
मैने खुद को गिरवी रख गुलदस्ते लाए किसी के लिए ,
और तू किसी के लिए इतने सारे गुलाब लाई थी ;
किसी का सिरदर्द तो तूने फू-फू करके ठीक कर दिया ,
जाने क्यों मेरे ज़ख्मों के लिए तू नमक लाई थी ;
तुम करती भी रही कॉफी की तारीफें सब जगह ,
और तुम्हें किसी के हाथों की चाय पसंद आई थी ;
©Vibhu Karn
और फिर मैं भी तीसरा ही बन गया...
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