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तेरी हथेली पर वो नाम किसका था
मेरी डायरी में खत बेनाम किसका था
एक मुद्दत से हमने उनसे राब्ता नही रखा
सर पर मुहब्बत का इल्जाम किसका था
किया तगाफुल हमेशा महफिल में हमको
छोड़ गया जो आखिरी जाम किसका था
सफर में मिला था औरों से कुछ अलग
किया नजरों से जो कत्लेआम किसका था
हम भी पागल थे संजय सोच कर रह गये
कह कर गया वो मुझसे पयाम किसका था
©संजय श्रीवास्तव
#GoodMorning