माँ
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मैं माँ शब्द को लिखना नहीं जीना चाहती हूँ
अपने परिवार को ममता से पिरोना चाहती हूँ
उनकी छोटी छोटी खुशियों में खुश
और दुख को छोटा बनाना चाहती हूँ
जीतना और जीतने के साथ साथ हार को स्वीकारना
और हाँ सुकून से जीना
भी सीखाना चाहती हूँ
मैं चाहती हूँ कि वे दुनियाँ में एक अलग पहचान बनाये
फिर भी साधारण व्यक्तित्व के मालिक कहें जाये
मैं उड़ने के साथ उन्हें ठहरना भी सिखाना चाहती हूँ
अकेले और भीड़ दोनों में चलना सीखाना चाहती हूँ
और हाँ हर कमजोरी को तोड़ कर उन्हें आगे बढ़ना भी सीखाना चाहती हूँ
पैसा सुख सुविधाएं व समाज में आपकी हैसियत तो जरुर निर्धारित करेगा
पर खुद को हमेशा खुश रखने के लिये मन का सच्चा होना सीखाना चाहती हूँ
मैं माँ शब्द को लिखना नहीं जीना चाहती हूँ ।।
©Pooja Mishra
#MothersDay