White निज सपनों की चिता जलाकर, राख समेटे घूम रहा हूं
युवा हूं मैं भारत का युवा, बस डिग्री अपनी चूम रहा हूं
सरकारों के वादे सुन सुन, दिल में उठती है बस टीस
मन करता मिल जाए गर ये, रख दू इनको दे दस बीस
नहीं किसी भी काम के हैं यह, सोच सोच कर माथा पीट रहा हूं
निज सपनों की चिता जलाकर, राख समेटे घूम रहा हूं
पिता के झुकता कंधे मेरे, रोज एक प्रश्न करते हैं
मां की बुद्धि होती आंखें नित, केवल एक स्वप्न गढ़ते हैं
उन प्रश्नों के उन सपनों के, लपटों में जलकर मैं भून रहा हूं
निज सपनों की चिता जलाकर, राख समेटे घूम रहा हूं
रिश्तेदार सब ताने देते हैं, उम्र ब्याह की निकल रही है
साहस अब देखो टूट रहा है, धैर्य की डोर हाथों से फिसल रही है
फिर भी भर्ती के फॉर्म भरकर,इधर-उधर परीक्षा देने में घूम रहा हूं
निज सपनों की चिता जलकर, राख समेटे घूम रहा हूं
युवा हूं मैं भारत का युव, बस डिग्री अपनी चूम रहा हूं
@mr_master__sab
©Ankur tiwari
#Moon
निज सपनों की चिता जलाकर, राख समेटे घूम रहा हूं
युवा हूं मैं भारत का युवा, बस डिग्री अपनी चूम रहा हूं
सरकारों के वादे सुन सुन, दिल में उठती है बस टीस
मन करता मिल जाए गर ये, रख दू इनको दे दस बीस
नहीं किसी भी काम के हैं यह, सोच सोच कर माथा पीट रहा हूं
निज सपनों की चिता जलाकर, राख समेटे घूम रहा हूं
पिता के झुकता कंधे मेरे, रोज एक प्रश्न करते हैं