बंद कमरा!!दीवारों पर किसी चलचित्र से चलती हुई कुछ | हिंदी Shayari

"बंद कमरा!!दीवारों पर किसी चलचित्र से चलती हुई कुछ यादें आखिरी सिगरेट!!आशुओँ से भीगी हुई चन्द माचिस की तीलियाँ औऱ खुद से खुद की जंग हार कर बैठा हुआ मैं!!😢 उसे ख़बर दो, की जिंदगी के तमाम ख्वाबों को अपनी आँखों की पुतलियों की अँधेरी क़ब्र में दफ़न करके दुःखों में उतर चुका हूँ मैं,!! उसे ख़बर दो, की वस्ल के दिन की खुशियाँ अब हिज़्र के रातों की तन्हाइयों से कमजोर साबित होने लगीं है,!! उसे ख़बर दो, की नकारात्मकता से सकारत्मकता की ओर जाने के प्रयास में कई मर्तबा असफलता को चूम चुका हूं मैं,!! उसे बतलाओ, की उसको उसकी आखिरी सांस तक साथ निभाने के वादे को निभाने में असफल हो चुका हूं मैं,!! उसे बतलाओ!!!😓 कलाईयों की ऱगे सलामत नही रही है.!! बिछड़ चुका है लहूँ बदन से! बहुत से जज़्बे जो सिर्फ़ महरूम थे!! वो मरहूम हो गए है!! बिछड़ कर उससे मैं ज़िन्दगी की हर एक हद से गुज़र चुका हूँ मैं! उसे ख़बर दो, की मर चुका हूँ मैं!! - ✍️अक्की सूर्यवंशी ©akki suryavanshi"

 बंद कमरा!!दीवारों पर किसी चलचित्र से चलती हुई कुछ यादें
आखिरी सिगरेट!!आशुओँ से भीगी हुई चन्द माचिस की तीलियाँ औऱ खुद से खुद की जंग हार कर बैठा हुआ मैं!!😢

उसे ख़बर दो,
की जिंदगी के तमाम ख्वाबों को अपनी आँखों की पुतलियों की अँधेरी क़ब्र में दफ़न करके दुःखों में उतर चुका हूँ मैं,!!
उसे ख़बर दो,
की वस्ल के दिन की खुशियाँ अब हिज़्र के रातों की तन्हाइयों से 
कमजोर साबित होने लगीं है,!!
उसे ख़बर दो,
की नकारात्मकता से सकारत्मकता की ओर जाने के प्रयास में कई मर्तबा असफलता को चूम चुका हूं मैं,!!
उसे बतलाओ,
की उसको उसकी आखिरी सांस तक साथ निभाने के वादे को निभाने में
असफल हो चुका हूं मैं,!!
उसे बतलाओ!!!😓
कलाईयों की ऱगे सलामत नही रही है.!!
बिछड़ चुका है लहूँ बदन से!
बहुत से जज़्बे जो सिर्फ़ महरूम थे!!
वो मरहूम हो गए है!!
बिछड़ कर उससे मैं ज़िन्दगी की हर एक हद से गुज़र चुका हूँ मैं!
उसे ख़बर दो,
की मर चुका हूँ मैं!! - 

           ✍️अक्की सूर्यवंशी

©akki suryavanshi

बंद कमरा!!दीवारों पर किसी चलचित्र से चलती हुई कुछ यादें आखिरी सिगरेट!!आशुओँ से भीगी हुई चन्द माचिस की तीलियाँ औऱ खुद से खुद की जंग हार कर बैठा हुआ मैं!!😢 उसे ख़बर दो, की जिंदगी के तमाम ख्वाबों को अपनी आँखों की पुतलियों की अँधेरी क़ब्र में दफ़न करके दुःखों में उतर चुका हूँ मैं,!! उसे ख़बर दो, की वस्ल के दिन की खुशियाँ अब हिज़्र के रातों की तन्हाइयों से कमजोर साबित होने लगीं है,!! उसे ख़बर दो, की नकारात्मकता से सकारत्मकता की ओर जाने के प्रयास में कई मर्तबा असफलता को चूम चुका हूं मैं,!! उसे बतलाओ, की उसको उसकी आखिरी सांस तक साथ निभाने के वादे को निभाने में असफल हो चुका हूं मैं,!! उसे बतलाओ!!!😓 कलाईयों की ऱगे सलामत नही रही है.!! बिछड़ चुका है लहूँ बदन से! बहुत से जज़्बे जो सिर्फ़ महरूम थे!! वो मरहूम हो गए है!! बिछड़ कर उससे मैं ज़िन्दगी की हर एक हद से गुज़र चुका हूँ मैं! उसे ख़बर दो, की मर चुका हूँ मैं!! - ✍️अक्की सूर्यवंशी ©akki suryavanshi

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