शानो-शौकत तमगे-ओहदे का इतना दाम हुआ है क्या ? बंद

"शानो-शौकत तमगे-ओहदे का इतना दाम हुआ है क्या ? बंदी किसका कौन हुआ ? कुछ नाम हुआ है क्या ? हरा-केसरी लहू बह रहा कट्टर वार हुआ है क्या ? सौदागर जो मजहब के थे कोई गिरफ्तार हुआ है क्या ? उनके अच्छे-सच्चे वादों पर इल्ज़ामात हुआ है क्या ? संसद वाले रास्तों पर जेलों से निर्यात हुआ है क्या ? देख तो इस भगती दुनिया का अंजाम हुआ है क्या ? पल दो पल का इतना नाजुक कभी इंसां हुआ है क्या ? मर्ज हैं सबके अपने अपने कुछ इलाज़ हुआ है क्या ? गम के गुल्लक सबके अपने कुछ इज़हार हुआ है क्या ? चंद चमेली के फूलों का वो हार हुआ है क्या ? या संकोचों के पन्नों में दबकर बस इंतज़ार हुआ है क्या ? जीते सकल ये जीवन अपना जैसे इंसान अमर हुआ है क्या ? हर पल जीना अपनों की कीमत का ज्ञान हुआ है क्या ? अस्तित्व पे खुद के मन में तेरे सवाल हुआ है क्या ? तिनके से तू कितना भंगुर कुछ अहसास हुआ है क्या ?"

 शानो-शौकत तमगे-ओहदे का इतना दाम 
हुआ है क्या ?
बंदी किसका कौन हुआ ? कुछ नाम 
हुआ है क्या ?

हरा-केसरी लहू बह रहा कट्टर वार
हुआ है क्या ?
सौदागर जो मजहब के थे कोई गिरफ्तार
हुआ है क्या ?

उनके अच्छे-सच्चे वादों पर इल्ज़ामात
हुआ है क्या ?
संसद वाले रास्तों पर जेलों से निर्यात
हुआ है क्या ?

देख तो इस भगती दुनिया का अंजाम
हुआ है क्या ?
पल दो पल का इतना नाजुक कभी इंसां
हुआ है क्या ?

मर्ज हैं सबके अपने अपने कुछ इलाज़
हुआ है क्या ?
गम के गुल्लक सबके अपने कुछ इज़हार
हुआ है क्या ?

चंद चमेली के फूलों का वो हार 
हुआ है क्या ?
या संकोचों के पन्नों में दबकर बस इंतज़ार 
हुआ है क्या ?

जीते सकल ये जीवन अपना जैसे इंसान अमर 
हुआ है क्या ?
हर पल जीना अपनों की कीमत का ज्ञान 
हुआ है क्या ?

अस्तित्व पे खुद के मन में तेरे सवाल
हुआ है क्या ?
तिनके से तू कितना भंगुर कुछ अहसास
हुआ है क्या ?

शानो-शौकत तमगे-ओहदे का इतना दाम हुआ है क्या ? बंदी किसका कौन हुआ ? कुछ नाम हुआ है क्या ? हरा-केसरी लहू बह रहा कट्टर वार हुआ है क्या ? सौदागर जो मजहब के थे कोई गिरफ्तार हुआ है क्या ? उनके अच्छे-सच्चे वादों पर इल्ज़ामात हुआ है क्या ? संसद वाले रास्तों पर जेलों से निर्यात हुआ है क्या ? देख तो इस भगती दुनिया का अंजाम हुआ है क्या ? पल दो पल का इतना नाजुक कभी इंसां हुआ है क्या ? मर्ज हैं सबके अपने अपने कुछ इलाज़ हुआ है क्या ? गम के गुल्लक सबके अपने कुछ इज़हार हुआ है क्या ? चंद चमेली के फूलों का वो हार हुआ है क्या ? या संकोचों के पन्नों में दबकर बस इंतज़ार हुआ है क्या ? जीते सकल ये जीवन अपना जैसे इंसान अमर हुआ है क्या ? हर पल जीना अपनों की कीमत का ज्ञान हुआ है क्या ? अस्तित्व पे खुद के मन में तेरे सवाल हुआ है क्या ? तिनके से तू कितना भंगुर कुछ अहसास हुआ है क्या ?

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