शानो-शौकत तमगे-ओहदे का इतना दाम
हुआ है क्या ?
बंदी किसका कौन हुआ ? कुछ नाम
हुआ है क्या ?
हरा-केसरी लहू बह रहा कट्टर वार
हुआ है क्या ?
सौदागर जो मजहब के थे कोई गिरफ्तार
हुआ है क्या ?
उनके अच्छे-सच्चे वादों पर इल्ज़ामात
हुआ है क्या ?
संसद वाले रास्तों पर जेलों से निर्यात
हुआ है क्या ?
देख तो इस भगती दुनिया का अंजाम
हुआ है क्या ?
पल दो पल का इतना नाजुक कभी इंसां
हुआ है क्या ?
मर्ज हैं सबके अपने अपने कुछ इलाज़
हुआ है क्या ?
गम के गुल्लक सबके अपने कुछ इज़हार
हुआ है क्या ?
चंद चमेली के फूलों का वो हार
हुआ है क्या ?
या संकोचों के पन्नों में दबकर बस इंतज़ार
हुआ है क्या ?
जीते सकल ये जीवन अपना जैसे इंसान अमर
हुआ है क्या ?
हर पल जीना अपनों की कीमत का ज्ञान
हुआ है क्या ?
अस्तित्व पे खुद के मन में तेरे सवाल
हुआ है क्या ?
तिनके से तू कितना भंगुर कुछ अहसास
हुआ है क्या ?