विपत्ति जब आती है
ये विपत्ति जब आती है,
अकेले वो नहीं आती है।
साथ में लाती अपनी बहनें,
उन्हें भी घर दिखाती है।
देखो बहनों अब तुम सब,
याद दिला दो इनको रब।
ताण्डव इनपर करती रहना,
कभी तो पस्त होंगे जब।
इनको मजा चखाएँगे,
खून के आँसू रुलाएंँगे।
कभी अगर ये चूके तो जब,
इनको बहुत सताएँगे।
पागल जैसी हालत करके,
दुविधा में ही इनको भरके।
हमें मजा बहुत फिर आएगा,
हँसेंगे हम ही पेट पकड़ के।
जब पस्त नहीं वो होता है,
इनको ही कष्ट ये होता है।
मंसूबों पर ही पानी फेर दिया,
ऐसा बहुत कम ये होता है।
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देवेश दीक्षित
स्वरचित एवं मौलिक
©Devesh Dixit
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विपत्ति जब आती है
ये विपत्ति जब आती है,
अकेले वो नहीं आती है।
साथ में लाती अपनी बहनें,
उन्हें भी घर दिखाती है।