क्या, शर्द रातों में तू आज भी कम्बल छुपा देती है,
ताकि लिपटने का एक और बहाना मिल जाए,
क्या, शबाब के नशे में आज भी गुम होकर तू उसको,
अपने सारे राज बता देती है,
और, फिर होश में आके वही बातें दोहरा देती है,
जैसे मेरे सामने दोहराया करती थी ।।
क्या, तू आज भी अपनी जुल्फों को अपने गलों से
फिसलने देती है ,
ताकि वो अँगुलियों से उसे फिर से पीछे कर सके ,
जैसे मै किया करता था ।।
©अनकहें एहसास
#Chalachal #LO√€ #Stories #Stories #story❤ #Love #story