gazal... by chetan verma यह मौसम इतना अच्छा होता | हिंदी Love

"gazal... by chetan verma यह मौसम इतना अच्छा होता क्यों है कोई नहीं पास तो रोता क्यों है | रुको जरा ठहरो जुल्फों के साए में अंधेरा कितना ही हो हटता क्यों है | बिछड़ कर मुझसे उसका घर बस भी गया होगा पर नया घर अच्छा लगता क्यों है | यूं ना फसाओ हमें शरबती बातों में आंखों का छलका आंसू टपकता क्यों है | सब समझ आ गया उसे मेरा महफिल-ए-राग भी शिकायत यह है कि बिखर कर भी वह हंसता क्यों है | ©Chetan Verma"

 gazal... by chetan verma 

यह मौसम इतना अच्छा होता क्यों है
कोई नहीं पास तो रोता क्यों है |


रुको जरा ठहरो जुल्फों के साए में 
अंधेरा कितना ही हो हटता क्यों है |


बिछड़ कर मुझसे उसका घर बस भी गया होगा
पर नया घर अच्छा लगता क्यों है |


यूं ना फसाओ हमें शरबती बातों में
आंखों का छलका आंसू टपकता क्यों है |


सब समझ आ गया उसे मेरा महफिल-ए-राग भी
शिकायत यह है कि बिखर कर भी वह हंसता क्यों है |

©Chetan Verma

gazal... by chetan verma यह मौसम इतना अच्छा होता क्यों है कोई नहीं पास तो रोता क्यों है | रुको जरा ठहरो जुल्फों के साए में अंधेरा कितना ही हो हटता क्यों है | बिछड़ कर मुझसे उसका घर बस भी गया होगा पर नया घर अच्छा लगता क्यों है | यूं ना फसाओ हमें शरबती बातों में आंखों का छलका आंसू टपकता क्यों है | सब समझ आ गया उसे मेरा महफिल-ए-राग भी शिकायत यह है कि बिखर कर भी वह हंसता क्यों है | ©Chetan Verma

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