देशवासियो को एक पैगाम लिख दूँ, शहीदों के लिए जय जव | हिंदी कविता

"देशवासियो को एक पैगाम लिख दूँ, शहीदों के लिए जय जवान लिख दूँ। लिखने का हुनर नहीं है मुझमें, फिर भी वीरो के नाम एक कलाम लिख दूँ ।। गर्व है उस माँ पर, जो वतन के नाम अपने सपूत किये। लिखने को मेरे पास कोई शब्द नहीं, बस एक बार उस माँ को प्रणाम लिख दूँ ।। जिसने खायी सीने पर गोली, भूलकर अपने घर - परिवार को। किया रक्षा वतन को अपनी जान देकर, उनको है नमन, ये बारम्बार लिख दूँ ।। लाश आयी गाँव में जब, उनकी माँ - बहन लिपटकर रोई। पत्नी हुई बेसहारा, जिसने सबकुछ खोई ।। माँ ने बेटा खोई, बहन ने भाई। पत्नी ने पति खोई, कौन जाने पीर - पराई ।। लेखक: नाम - संजीव कुमार पता - दिल्ली"

 देशवासियो को एक पैगाम लिख दूँ,
शहीदों के लिए जय जवान लिख दूँ।
लिखने का हुनर नहीं है मुझमें,
फिर भी वीरो के नाम एक कलाम लिख दूँ ।।

गर्व है उस माँ पर,
जो वतन के नाम अपने सपूत किये।
लिखने को मेरे पास कोई शब्द नहीं,
बस एक बार उस माँ को प्रणाम लिख दूँ ।। 

जिसने खायी सीने पर गोली,
भूलकर अपने घर - परिवार को।
किया रक्षा वतन को अपनी जान देकर,
उनको है नमन, ये बारम्बार लिख दूँ ।।

लाश आयी गाँव में जब,
उनकी माँ - बहन लिपटकर रोई।
पत्नी हुई बेसहारा,
जिसने सबकुछ खोई ।।

माँ ने बेटा खोई,
बहन ने भाई।
पत्नी ने पति खोई,
कौन जाने पीर - पराई ।।                                                  
लेखक:
नाम - संजीव कुमार
पता  - दिल्ली

देशवासियो को एक पैगाम लिख दूँ, शहीदों के लिए जय जवान लिख दूँ। लिखने का हुनर नहीं है मुझमें, फिर भी वीरो के नाम एक कलाम लिख दूँ ।। गर्व है उस माँ पर, जो वतन के नाम अपने सपूत किये। लिखने को मेरे पास कोई शब्द नहीं, बस एक बार उस माँ को प्रणाम लिख दूँ ।। जिसने खायी सीने पर गोली, भूलकर अपने घर - परिवार को। किया रक्षा वतन को अपनी जान देकर, उनको है नमन, ये बारम्बार लिख दूँ ।। लाश आयी गाँव में जब, उनकी माँ - बहन लिपटकर रोई। पत्नी हुई बेसहारा, जिसने सबकुछ खोई ।। माँ ने बेटा खोई, बहन ने भाई। पत्नी ने पति खोई, कौन जाने पीर - पराई ।। लेखक: नाम - संजीव कुमार पता - दिल्ली

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