कान्हा तेरे प्रीत को तरसी,भयी बाँवरी पीर। प्रीत जु | हिंदी Bhakti

"कान्हा तेरे प्रीत को तरसी,भयी बाँवरी पीर। प्रीत जुरी मैं माला सी,और टुटी तो जंजीर।। ©ऋतुराज पपनै "क्षितिज""

 कान्हा तेरे प्रीत को तरसी,भयी बाँवरी पीर।
प्रीत जुरी मैं माला सी,और टुटी तो जंजीर।।

©ऋतुराज पपनै "क्षितिज"

कान्हा तेरे प्रीत को तरसी,भयी बाँवरी पीर। प्रीत जुरी मैं माला सी,और टुटी तो जंजीर।। ©ऋतुराज पपनै "क्षितिज"

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