India quotes अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता संविधान ने दी है वरन समाज ने सदैव गूंगा ही देखना चाहा है।
कभी रिश्तों का बंधन जब अपने से छोटों पर बातों का बोझ थोपा जाए,कभी उम्र का अन्तर जहाँ बड़प्पन का फ़ायदा उठाया जाए,कहीं अंग्रेजी मानसिकता युक्त जमींदारी/मनसबदारी प्रथा जिसमें समाज के कुछ लोगों द्वारा स्वयं को श्रेष्ठ दिखाया जाए अन्य सिर्फ मूकदर्शक बनकर देखते रह जाए,कहीं जातिवाद के साँचे में ढ़ालकर समाज के लोगों को निम्न और उच्च वर्ग में बाँट दिया जाए।
होता न जो संविधान कैसे समाज का एकीकरण होता?होता न जो संविधान कैसे समानताओं का गठन होता ?
होता न जो संविधान कैसे स्त्री और पुरुष में विभेद दूर होता?
कैसे महिला सशक्तिकरण होता।
✍️संविधान दिवस,26 नवम्बर 1949
©ऋतुराज पपनै "क्षितिज"
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