रात भर नहीं सोई थी गंभीर सोच में खोई थी कल का उगता | हिंदी कविता

"रात भर नहीं सोई थी गंभीर सोच में खोई थी कल का उगता सूरज कैसा दिन दिखाएगा खुशियों से जगमग सूरज रोशन कर जाएगा यह कल का दिन ग्रहण में बदल जाएगा मैंने भी सोच से कह दिया नहीं खोया है मेरा हौसला ग्रहण के घनघोर अंधेरे में उम्मीद कर दिया जलाऊंगी अपने साथ औरों की जिंदगी में भी खुशियां फैला लूंगा चंदन की खुशबू की तरह फैल जाऊंगी गंगाजल की तरह जग को पवित्र बनाऊंगी फूलों की तरह खिल खिलाऊंगी आशीर्वाद और प्रेम का अमृत सबको पिलाऊंगी भारत की भूमि पर आशा की किरण सजाऊंगी ©Priyanka Thakur"

 रात भर नहीं सोई थी गंभीर सोच में खोई थी
कल का उगता सूरज कैसा दिन दिखाएगा

खुशियों से जगमग सूरज रोशन कर जाएगा  
यह कल का दिन ग्रहण में बदल जाएगा  

मैंने भी सोच से कह दिया नहीं खोया है मेरा हौसला  
ग्रहण के घनघोर अंधेरे में उम्मीद कर दिया जलाऊंगी  

अपने साथ औरों की जिंदगी में भी खुशियां फैला लूंगा  
चंदन की खुशबू की तरह फैल जाऊंगी

गंगाजल की तरह जग को पवित्र बनाऊंगी  
फूलों की तरह खिल खिलाऊंगी   

आशीर्वाद और प्रेम का अमृत सबको पिलाऊंगी  
भारत की भूमि पर आशा की किरण सजाऊंगी

©Priyanka Thakur

रात भर नहीं सोई थी गंभीर सोच में खोई थी कल का उगता सूरज कैसा दिन दिखाएगा खुशियों से जगमग सूरज रोशन कर जाएगा यह कल का दिन ग्रहण में बदल जाएगा मैंने भी सोच से कह दिया नहीं खोया है मेरा हौसला ग्रहण के घनघोर अंधेरे में उम्मीद कर दिया जलाऊंगी अपने साथ औरों की जिंदगी में भी खुशियां फैला लूंगा चंदन की खुशबू की तरह फैल जाऊंगी गंगाजल की तरह जग को पवित्र बनाऊंगी फूलों की तरह खिल खिलाऊंगी आशीर्वाद और प्रेम का अमृत सबको पिलाऊंगी भारत की भूमि पर आशा की किरण सजाऊंगी ©Priyanka Thakur

#alone

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