अंत से सीख अंत में क्या रह जाता है ? शायद कुछ धु | हिंदी विचार

"अंत से सीख अंत में क्या रह जाता है ? शायद कुछ धुंधली यादें ,कुछ बातें जो हमने अपनों से की वी थीं , कुछ मुलाकातें , कुछ खत जो कभी पढ़े नहीं गए ,कुछ रिश्ते ,कुछ खुशी के तो कुछ ग़म के किस्से , कुछ चेहरे जो ताउम्र हमारे साथ रहे ,कुछ तस्वीरें कुछ रूमानी पल ,हाथों का स्पर्श या कुछ अधूरी कहानियां .. मुझसे पूंछा जाए जाए तो अन्त में रह जाते हैं हम और हमारे अंतर्मन में समाये हुए कुछ किस्से जो कभी हमारी जिंदगी का हिस्सा थे ! शायद अंत तक पहुंचते पहुंचते हम अपने आप से प्रेम भी करने लगते हैं! लेकिन जब तक हमें मालूम पड़ता है कि खुद से भी प्रेम किया जा सकता है तब तक बहुत देर हो चुकी होती हैं! मेरे ख़्याल से हमें जीवन में जो कुछ भी पाना है उसकी पहली सीढ़ी यही है की हम स्वयं से प्रेम करना सीख लें! क्यूं कि जब हम स्वयं से प्रेम करना सीख लेंगे तो हम दूसरों से प्रेम कर सकेंगे ! ©Ashutosh jain"

 अंत से सीख 

अंत में क्या रह जाता है ?
शायद कुछ धुंधली यादें ,कुछ बातें जो हमने अपनों से की वी थीं , कुछ मुलाकातें , कुछ खत जो कभी पढ़े नहीं गए ,कुछ रिश्ते ,कुछ खुशी के तो कुछ ग़म के किस्से , कुछ चेहरे जो ताउम्र हमारे साथ रहे ,कुछ तस्वीरें  कुछ रूमानी पल ,हाथों का स्पर्श या कुछ अधूरी कहानियां ..
मुझसे पूंछा जाए जाए तो अन्त में रह जाते हैं हम और हमारे अंतर्मन में समाये हुए कुछ किस्से जो कभी हमारी जिंदगी का हिस्सा थे ! शायद अंत तक पहुंचते पहुंचते हम अपने आप से प्रेम भी करने लगते हैं! लेकिन जब तक हमें मालूम पड़ता है कि खुद से भी प्रेम किया जा सकता है तब तक बहुत देर हो चुकी होती हैं!
 मेरे ख़्याल से हमें जीवन में जो कुछ भी पाना है उसकी पहली सीढ़ी यही है की हम स्वयं से प्रेम करना सीख लें! क्यूं कि जब हम स्वयं से प्रेम करना सीख लेंगे तो हम दूसरों से प्रेम कर सकेंगे !

©Ashutosh jain

अंत से सीख अंत में क्या रह जाता है ? शायद कुछ धुंधली यादें ,कुछ बातें जो हमने अपनों से की वी थीं , कुछ मुलाकातें , कुछ खत जो कभी पढ़े नहीं गए ,कुछ रिश्ते ,कुछ खुशी के तो कुछ ग़म के किस्से , कुछ चेहरे जो ताउम्र हमारे साथ रहे ,कुछ तस्वीरें कुछ रूमानी पल ,हाथों का स्पर्श या कुछ अधूरी कहानियां .. मुझसे पूंछा जाए जाए तो अन्त में रह जाते हैं हम और हमारे अंतर्मन में समाये हुए कुछ किस्से जो कभी हमारी जिंदगी का हिस्सा थे ! शायद अंत तक पहुंचते पहुंचते हम अपने आप से प्रेम भी करने लगते हैं! लेकिन जब तक हमें मालूम पड़ता है कि खुद से भी प्रेम किया जा सकता है तब तक बहुत देर हो चुकी होती हैं! मेरे ख़्याल से हमें जीवन में जो कुछ भी पाना है उसकी पहली सीढ़ी यही है की हम स्वयं से प्रेम करना सीख लें! क्यूं कि जब हम स्वयं से प्रेम करना सीख लेंगे तो हम दूसरों से प्रेम कर सकेंगे ! ©Ashutosh jain

अंत से सीख

अंत में क्या रह जाता है ?
शायद कुछ धुंधली यादें ,कुछ बातें जो हमने अपनों से की वी थीं , कुछ मुलाकातें , कुछ खत जो कभी पढ़े नहीं गए ,कुछ रिश्ते ,कुछ खुशी के तो कुछ ग़म के किस्से , कुछ चेहरे जो ताउम्र हमारे साथ रहे ,कुछ तस्वीरें कुछ रूमानी पल ,हाथों का स्पर्श या कुछ अधूरी कहानियां ..
मुझसे पूंछा जाए जाए तो अन्त में रह जाते हैं हम और हमारे अंतर्मन में समाये हुए कुछ किस्से जो कभी हमारी जिंदगी का हिस्सा थे ! शायद अंत तक पहुंचते पहुंचते हम अपने आप से प्रेम भी करने लगते हैं! लेकिन जब तक हमें मालूम पड़ता है कि खुद से भी प्रेम किया जा सकता है तब तक बहुत देर हो चुकी होती हैं!
मेरे ख़्याल से हमें जीवन में जो कुछ भी पाना है उसकी पहली सीढ़ी यही है की हम स्वयं से प्रेम करना सीख लें! क्यूं कि जब हम स्वयं से प्रेम करना सीख लेंगे तो हम दूसरों से प्रेम कर सकेंगे !

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