धरा, गगन, समीर सब कह रही है मां रो रो कर अपने आँच

"धरा, गगन, समीर सब कह रही है मां रो रो कर अपने आँचल भिगों रही है जो नही होना था फिर से घटित हो गया आज फिर माँ भारती का लाल शहीद हो गया। जवानी की जब शुरुआत होती है तभी से शुरू उनकी तपस्वी जीवन होती है जैसलमेर की गर्मी , सियाचिन ग्लेशियर की सर्दी सहने वाला वीर योद्धा गहरी नींद में सो गया कि फिर ......... कुछ बाते जबान पर नही दिल में रखा जाता है पर शेखर क्या करें अब सहा न जाता है ब्रमोस, राफेल भरोसे की ताकत है भारत के पास फिर भी कही न कही भरोसे में चूक हो गया आज फिर मां भारती का लाल शहीद हो गया शशांक शेखर त्रिपाठी"

 धरा, गगन, समीर सब कह रही है
 मां रो रो कर अपने आँचल भिगों रही है
जो नही होना था फिर से घटित हो गया
आज फिर माँ भारती का लाल शहीद हो गया।

जवानी की जब शुरुआत होती है 
तभी से शुरू उनकी तपस्वी जीवन होती है
जैसलमेर की गर्मी , सियाचिन ग्लेशियर की सर्दी
सहने वाला वीर योद्धा गहरी नींद में सो गया
कि फिर .........
कुछ बाते जबान पर नही दिल में रखा जाता है
 पर शेखर क्या करें अब सहा न जाता है
ब्रमोस, राफेल भरोसे की ताकत है भारत के पास
फिर भी कही न कही भरोसे में चूक हो गया
आज फिर मां भारती का लाल शहीद हो गया

 शशांक शेखर त्रिपाठी

धरा, गगन, समीर सब कह रही है मां रो रो कर अपने आँचल भिगों रही है जो नही होना था फिर से घटित हो गया आज फिर माँ भारती का लाल शहीद हो गया। जवानी की जब शुरुआत होती है तभी से शुरू उनकी तपस्वी जीवन होती है जैसलमेर की गर्मी , सियाचिन ग्लेशियर की सर्दी सहने वाला वीर योद्धा गहरी नींद में सो गया कि फिर ......... कुछ बाते जबान पर नही दिल में रखा जाता है पर शेखर क्या करें अब सहा न जाता है ब्रमोस, राफेल भरोसे की ताकत है भारत के पास फिर भी कही न कही भरोसे में चूक हो गया आज फिर मां भारती का लाल शहीद हो गया शशांक शेखर त्रिपाठी

मां भारतीय का लाल

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