White हे कामदेव मनसिज मनोज मत अपना अधिकार जमाओ तुम विद्यार्थी हूं विद्या ब्रम्हचर्य की ज्योति जगाओ तुम
मत भड़काओ काम की ज्वाला मत अपना अधिकार जमाओ तुम
भर दो सद्ज्ञान हृदय में अनुचित कृत्य न सिखा ओ तुम हे मतमंथ विरक्त हो जाओ हमसे अभी से हमे न सता ओ तुम
हे कामदेव रति के स्वामी इस अवस्था में मत आओ तुम
गृहस्थ जीवन में आना तुम फिर अपना हक ज़माना तुम अपनी कला दिखाना तुम, होकर वशीभूत यौवन में पर मर्यादा भूल न जाना तुम अपना अधिकार जमाना तुम
हे कंदर्प श्रृंगारपति विद्यार्थी को ब्रम्हचर्य पाठ सिखाना तुम ।।
स्वरचित कविता
✍️✍️@बजरंग@✍️✍️
* हृदय कल्पित*
2016 बी० ए० द्वितीय वर्ष
©Bajrang Raj
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