एहसास
प्यार तो हमको आता नहीं था,
एहसास तो तुमनें ही दिलाया था प्यार का,
वक्त के मंजर मैं खुद अकेले चली थी मैं,
तुमनें हाथ पकड़ा और साथ निभाया था,
रोई जब मैं उदास होकर तो,
तुमने आकर गले लगाया था,
फिर भी एहसास से दूर थी मैं,
तुमने आकर दोस्ती का एक नाम दिलाया था,
दोस्ती में हम आगें बढ़ते गए,
परवाह तुम अब और ज्यादा करते गए,
तुम्हारी परवाह तुम्हें और पास ले आई,
और नाम मैं रिश्ते ने एक नई पहचान बनाई,
यह पहचान फिर हमसाया बनकर सामने आई,
तब दिल ने ही दिल को दिल की बात समझाई।
तुम्हारे प्यार की भी फिर प्रेम कहानी बन पाई,
और हमसफ़र के रुप में इस रिश्ते ने पहचान थी पाई।
©Meenakshi Sharma