होलिका दहन क्यों?
तथाकथित रूढ़िवादी परंपरा के अनुसार, ''हिरण कश्यप की बहन होलिका को वरदान प्राप्त था कि वह आग में भस्म नहीं हो सकती। हिरण कश्यप ने आदेश दिया की होलिका प्रहलाद को गोद में लेकर आग में बैठे। आग में बैठने पर होलिका तो जल गई परंतु प्रहलाद बच गया। ''
यहां यह बात सिद्ध होती है कि होलिका एकदम निर्दोष थी वह धोखे से आग में जली थी। तो मैं पूछना चाहता हूं उन बुद्धिजीवी लोगों से जो प्रत्येक वर्ष होलिका दहन करते हैं कि क्या एक निर्दोष स्त्री को जलाना कहां का इंसाफ है। अगर आप फिर भी इस घिनौने कृत्य को करना अपना सौभाग्य समझते हैं तो मेरी नजर में आप एकदम गंवार और मूर्ख हैं।
और फिर हर वर्ष देते रहिए अपनी मूर्खता का परिचय।
©manish bauddh
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