डिप्रेशन के इन्तहा जिसे सुकून देने लग जाए तो फिर | हिंदी विचार

"डिप्रेशन के इन्तहा जिसे सुकून देने लग जाए तो फिर उस पर कोई भी लहजा असर नहीं करता, अकेलापन इतना सुकून देने लग जाता है कि पास बैठे लोगों की मौजूदगी भी हमारे लिए बेमाने हो जाती है , हम एक नई दुनिया तखलीक कर लेते हैं जिस में बस हम रहते हैं और हमारे खयाल और उन ख्यालों के किरदार जो बस हमें नोच रहे होते हैं...!!🖤🦋 ©Akram Qumar"

 डिप्रेशन के इन्तहा जिसे सुकून देने लग जाए 
तो फिर उस पर कोई भी लहजा असर नहीं करता, 
अकेलापन इतना सुकून देने लग जाता है कि
 पास बैठे लोगों की मौजूदगी भी हमारे लिए बेमाने हो जाती है
, हम एक नई दुनिया तखलीक कर लेते हैं 
जिस में बस हम रहते हैं और हमारे खयाल और 
उन ख्यालों के किरदार जो बस हमें नोच रहे होते हैं...!!🖤🦋

©Akram Qumar

डिप्रेशन के इन्तहा जिसे सुकून देने लग जाए तो फिर उस पर कोई भी लहजा असर नहीं करता, अकेलापन इतना सुकून देने लग जाता है कि पास बैठे लोगों की मौजूदगी भी हमारे लिए बेमाने हो जाती है , हम एक नई दुनिया तखलीक कर लेते हैं जिस में बस हम रहते हैं और हमारे खयाल और उन ख्यालों के किरदार जो बस हमें नोच रहे होते हैं...!!🖤🦋 ©Akram Qumar

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