जीवन की बुनियादी चीजों के लिए भी आपको संघर्ष करना पड़ता है तो अकेले खूब संघर्ष करते। आम चीज़े जिनसे बच्चें कमाने और जीवन जीने लायक बनते है वही चीजे उतनी मात्रा में ना मिले तो इसमें उनका दोष नहीं, आपकी अदूरदर्शिता आपकी अपरिपक्वता का ही सबूत है जो इतने भी काबिल न बन पाएं इतना नही कमा पाए फिर भी बच्चो को जन्म दिया।
जिन बच्चो को मानसिक भावनात्मक आर्थिक किसी तरह का सहारा नही दे पाते फिर भी बच्चो को कोसना हिंसा करना ये आपकी ही नाकामी का परिचय होता है।
बच्चो को बताएं ये जीवन सुंदर है और कोई भी असफलता आख़री नही होगी, तुम्हें हिम्मत रखनी होगी और हम तुम्हारे साथ है।
तब बच्चे कम जरूरतों पैसों में भी निखर जायेंगे वरना बिखरेंगे जिससे आप खुद को कोसेँगे कि हम ही नहीं बन पाए अच्छे माता पिता।
1/2कमरे का घर, जिसमें कोई चैन न पढ़ पाए न सो पाए,कॉपी है तो किताब नहीं,स्कूल की फीस न दे पाना, सरकारी स्कूल में पढ़ाकर अधिकारी बनाएंगे,स्कूल के जूतों के लिए अलग से समझाना पड़ता है,दो वक्त रोटी मिल तो जाती है और क्या चाहिए तुम्हें, तबियत ठीक नहीं रहती तो क्या इलाज में ही पैसा गवाएंगे,अबकी बार इसे दिला देते है कपड़े तु अगले त्योहार पर ले लेना।