परिंदे हैं हम, परिंदों का कोई शहर नहीं होता टिक जा | हिंदी शायरी

"परिंदे हैं हम, परिंदों का कोई शहर नहीं होता टिक जाएँ सुकून से ऐसा कोई दर नहीं होता बना ही लेते हैं घोसला किसी भी दरख़्त पर जो मकान तो होता है लेकिन घर नहीं होता ©अतुल कुमार सिंह"

 परिंदे हैं हम, परिंदों का कोई शहर नहीं होता
टिक जाएँ सुकून से ऐसा कोई दर नहीं होता
बना ही लेते हैं घोसला किसी भी दरख़्त पर
जो मकान तो होता है लेकिन घर नहीं होता

©अतुल कुमार सिंह

परिंदे हैं हम, परिंदों का कोई शहर नहीं होता टिक जाएँ सुकून से ऐसा कोई दर नहीं होता बना ही लेते हैं घोसला किसी भी दरख़्त पर जो मकान तो होता है लेकिन घर नहीं होता ©अतुल कुमार सिंह

#Bird

People who shared love close

More like this

Trending Topic