अतुल कुमार सिंह

अतुल कुमार सिंह Lives in Gorakhpur, Uttar Pradesh, India

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_हम भारत के लोग_ हर हर्फ़ सवाली रखते हैं, होठों पर गाली रखते हैं हकदारी सब मालूम हमें, बस फ़र्ज़ ख़याली रखते है ख़ुद के दागों की फ़िक्र किसे, औरों के गरेबाँ सब देखें ख़ुद की गलती पर परदा डालें औरों पर ताली रखते हैं ©अतुल कुमार सिंह

#शायरी #Indian #Time  _हम भारत के लोग_

हर हर्फ़ सवाली रखते हैं,
होठों पर गाली रखते हैं
हकदारी सब मालूम हमें,
बस फ़र्ज़ ख़याली रखते है


ख़ुद के दागों की फ़िक्र किसे,
औरों के गरेबाँ सब देखें
ख़ुद की गलती पर परदा डालें
औरों पर ताली रखते हैं

©अतुल कुमार सिंह

#Indian #Time

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परिंदे हैं हम, परिंदों का कोई शहर नहीं होता टिक जाएँ सुकून से ऐसा कोई दर नहीं होता बना ही लेते हैं घोसला किसी भी दरख़्त पर जो मकान तो होता है लेकिन घर नहीं होता ©अतुल कुमार सिंह

#शायरी #Bird  परिंदे हैं हम, परिंदों का कोई शहर नहीं होता
टिक जाएँ सुकून से ऐसा कोई दर नहीं होता
बना ही लेते हैं घोसला किसी भी दरख़्त पर
जो मकान तो होता है लेकिन घर नहीं होता

©अतुल कुमार सिंह

#Bird

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बीते बहुत दिन, बिना दीदार के ख़्वाबों में भी मिले, एक अरसा हुआ तड़पता रहा मैं हर दिन, तेरे प्यार में जैसे चकोर चाँद खातिर, हो तरसा हुआ तूने दी थी कसम, तो लब मुस्कुराते रहे उफनते तूफ़ान को, दिल में दबाते रहे उड़ गई ख्वाहिशें, बन के फाहे, सनम जैसे कोई बादल उड़ा, बिन बरसा हुआ ख़ैरियत की ख़बर भी, कोई लाता नहीं उस ओर तो कोई कबूतर, भी जाता नहीं ले चल ऐ हवा तू ही, उधर उड़ा कर मुझे सालने लगी है बेकली, मन में डर सा हुआ फिर दिखी तुम अचानक, दरीचे पर कल देह मुक्तक हो जैसे और हो आँखें गज़ल मिल गई बूँद स्वाति की, चातक को फिर अदना वो दरीचा भी, भव्य घर सा हुआ बह चली है हृदय में, प्रेम की धार फिर सुनने आया हो जैसे, कोई उद्गार फिर बख़्श दी है ख़ुदा ने, एक नई ज़िंदगी मन का मरुस्थल, भीगा शहर सा हुआ

#कविता #Light  बीते बहुत दिन, बिना दीदार के
ख़्वाबों में भी मिले, एक अरसा हुआ
तड़पता रहा मैं हर दिन, तेरे प्यार में
जैसे चकोर चाँद खातिर, हो तरसा हुआ
तूने दी थी कसम, तो लब मुस्कुराते रहे
उफनते तूफ़ान को, दिल में दबाते रहे
उड़ गई ख्वाहिशें, बन के फाहे, सनम
जैसे कोई बादल उड़ा, बिन बरसा हुआ
ख़ैरियत की ख़बर भी, कोई लाता नहीं
उस ओर तो कोई कबूतर, भी जाता नहीं
ले चल ऐ हवा तू ही, उधर उड़ा कर मुझे
सालने लगी है बेकली, मन में डर सा हुआ
फिर दिखी तुम अचानक, दरीचे पर कल
देह मुक्तक हो जैसे और हो आँखें गज़ल
मिल गई बूँद स्वाति की, चातक को फिर
अदना वो दरीचा भी, भव्य घर सा हुआ
बह चली है हृदय में, प्रेम की धार फिर
सुनने आया हो जैसे, कोई उद्गार फिर
बख़्श दी है ख़ुदा ने, एक नई ज़िंदगी
मन का मरुस्थल, भीगा शहर सा हुआ

#Light

9 Love

बीते बहुत दिन, बिना दीदार के ख़्वाबों में भी मिले, एक अरसा हुआ तड़पता रहा मैं हर दिन, तेरे प्यार में जैसे चकोर चाँद खातिर, हो तरसा हुआ तूने दी थी कसम, तो लब मुस्कुराते रहे उफनते तूफ़ान को, दिल में दबाते रहे उड़ गई ख्वाहिशें, बन के फाहे, सनम जैसे कोई बादल उड़ा, बिन बरसा हुआ ख़ैरियत की ख़बर भी, कोई लाता नहीं उस ओर तो कोई कबूतर, भी जाता नहीं ले चल ऐ हवा तू ही, उधर उड़ा कर मुझे सालने लगी है बेकली, मन में डर सा हुआ फिर दिखी तुम अचानक, दरीचे पर कल देह मुक्तक हो जैसे और हो आँखें गज़ल मिल गई बूँद स्वाति की, चातक को फिर अदना वो दरीचा भी, भव्य घर सा हुआ बह चली है हृदय में, प्रेम की धार फिर सुनने आया हो जैसे, कोई उद्गार फिर बख़्श दी है ख़ुदा ने, एक नई ज़िंदगी मन का मरुस्थल, भीगा शहर सा हुआ

#कविता #Light  बीते बहुत दिन, बिना दीदार के
ख़्वाबों में भी मिले, एक अरसा हुआ
तड़पता रहा मैं हर दिन, तेरे प्यार में
जैसे चकोर चाँद खातिर, हो तरसा हुआ
तूने दी थी कसम, तो लब मुस्कुराते रहे
उफनते तूफ़ान को, दिल में दबाते रहे
उड़ गई ख्वाहिशें, बन के फाहे, सनम
जैसे कोई बादल उड़ा, बिन बरसा हुआ
ख़ैरियत की ख़बर भी, कोई लाता नहीं
उस ओर तो कोई कबूतर, भी जाता नहीं
ले चल ऐ हवा तू ही, उधर उड़ा कर मुझे
सालने लगी है बेकली, मन में डर सा हुआ
फिर दिखी तुम अचानक, दरीचे पर कल
देह मुक्तक हो जैसे और हो आँखें गज़ल
मिल गई बूँद स्वाति की, चातक को फिर
अदना वो दरीचा भी, भव्य घर सा हुआ
बह चली है हृदय में, प्रेम की धार फिर
सुनने आया हो जैसे, कोई उद्गार फिर
बख़्श दी है ख़ुदा ने, एक नई ज़िंदगी
मन का मरुस्थल, भीगा शहर सा हुआ

#Light

9 Love

#प्रेमगीत #प्रेम #कविता #गीत  दुःखद अंत के प्रेम गीत को बोलो कैसे स्वर देता??

आँखें नम ना करना पगली, वरना काजल धुल जाएगा श्रृंगार करेंगी सखियाँ जब मैं दर्पण में नज़र ना आऊँगा दूर कहीं सूनेपन में जाने को यादों की गठरी बाँध, उठाऊँगा मुस्कान सजा लेना चेहरे पर तभी तो रूप निखर के आएगा आँखें नम ना करना पगली, वरना काजल धुल जाएगा लाल महावर तुम्हें मुबारक हो स्याह निशा अब मेरे नाम हुई जीवन में नया सवेरा हो तेरे मेरे हिस्से में बोझिल शाम हुई झुका लेना पलकें जब कोई हथेली पर दूल्हे का नाम सजाएगा आँखें नम ना करना पगली, वरना काजल धुल जाएगा वरमाला की डोरी थामो जब काँपे ना कलाई याद रहे मेरे संग ना मिल पाई ख़ुशियाँ चेहरे पर रंगत मेरे बाद रहे मुझसे बेहतर हमराही तुमको शायद भाग्य तुम्हें दे पाएगा आँखें नम ना करना पगली, वरना काजल धुल जाएगा हर एक फेरे पर एक याद अग्नि में जला कर बढ़ जाना बीते लम्हों को पीछे छोड़ हँसते हँसते डोली चढ़ जाना ना मुड़ना पीछे गलती से गर जाना पहचाना कोई आवाज़ लगाएगा आँखें नम ना करना पगली, वरना काजल धुल जाएगा ✍️ अतुल

#कविता #Break_up_day  आँखें नम ना करना पगली, वरना काजल धुल जाएगा
श्रृंगार करेंगी सखियाँ जब
मैं दर्पण में नज़र ना आऊँगा
दूर कहीं सूनेपन में जाने को
यादों की गठरी बाँध, उठाऊँगा
मुस्कान सजा लेना चेहरे पर
तभी तो रूप निखर के आएगा
आँखें नम ना करना पगली, वरना काजल धुल जाएगा
लाल महावर तुम्हें मुबारक हो
स्याह निशा अब मेरे नाम हुई
जीवन में नया सवेरा हो तेरे
मेरे हिस्से में बोझिल शाम हुई
झुका लेना पलकें जब कोई
हथेली पर दूल्हे का नाम सजाएगा
आँखें नम ना करना पगली, वरना काजल धुल जाएगा
वरमाला की डोरी थामो जब
काँपे ना कलाई याद रहे
मेरे संग ना मिल पाई ख़ुशियाँ
चेहरे पर रंगत मेरे बाद रहे
मुझसे बेहतर हमराही तुमको
शायद भाग्य तुम्हें दे पाएगा
आँखें नम ना करना पगली, वरना काजल धुल जाएगा
हर एक फेरे पर एक याद
अग्नि में जला कर बढ़  जाना
बीते लम्हों को पीछे छोड़
हँसते हँसते डोली चढ़ जाना
ना मुड़ना पीछे गलती से गर
जाना पहचाना कोई आवाज़ लगाएगा
आँखें नम ना करना पगली, वरना काजल धुल जाएगा
✍️ अतुल
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