कोई तो एक अल्फाज़ बिखरा है क्यों ये दिल बार बार | हिंदी Love

"कोई तो एक अल्फाज़ बिखरा है क्यों ये दिल बार बार टुटकर खुद को समेट रहा है एक सुबह जो उम्मीद आयी फिर क्यों वो ढलती शाम तक अंधेरे का स्वरूप बन गयी चाहते तो कभी कम नही होती और जो कम हो जाए वो चालाकियों की हवा है और ये नादन दिल कभी समझ नही पाया. ©Bhawana Pandey"

 कोई तो एक अल्फाज़ बिखरा है 
क्यों  ये दिल बार बार  टुटकर  खुद को 
समेट रहा है 
एक  सुबह जो उम्मीद आयी
  फिर 
 क्यों
 वो ढलती  शाम  तक अंधेरे  का स्वरूप बन गयी 
चाहते  तो कभी कम नही होती
और जो कम हो जाए वो चालाकियों की 
हवा है
और
ये
नादन दिल  कभी समझ नही पाया.

©Bhawana Pandey

कोई तो एक अल्फाज़ बिखरा है क्यों ये दिल बार बार टुटकर खुद को समेट रहा है एक सुबह जो उम्मीद आयी फिर क्यों वो ढलती शाम तक अंधेरे का स्वरूप बन गयी चाहते तो कभी कम नही होती और जो कम हो जाए वो चालाकियों की हवा है और ये नादन दिल कभी समझ नही पाया. ©Bhawana Pandey

#Preying

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