गांव में हो या शहर में हो चलो अच्छा है अपनों के जो | हिंदी कविता

"गांव में हो या शहर में हो चलो अच्छा है अपनों के जो नज़र में हो चलो अच्छा है, फैला है आतंक गज़ब कोरोना का तुम जो अपने घर में हो चलो अच्छा है। घर में रहें सुरक्षित रहें 🙏🙏 ©®सोमेश त्रिवेदी"

 गांव में हो या शहर में हो चलो अच्छा है
अपनों के जो नज़र में हो चलो अच्छा है,
फैला है आतंक गज़ब कोरोना का
तुम जो अपने घर में हो चलो अच्छा है।

घर में रहें सुरक्षित रहें 🙏🙏

©®सोमेश त्रिवेदी

गांव में हो या शहर में हो चलो अच्छा है अपनों के जो नज़र में हो चलो अच्छा है, फैला है आतंक गज़ब कोरोना का तुम जो अपने घर में हो चलो अच्छा है। घर में रहें सुरक्षित रहें 🙏🙏 ©®सोमेश त्रिवेदी

#coronavirus गांव में हो या शहर में हो चलो अच्छा है
अपनों के जो नज़र में हो चलो अच्छा है,
फैला है आतंक गज़ब कोरोना का
तुम जो अपने घर में हो चलो अच्छा है।

घर में रहें सुरक्षित रहें 🙏🙏

©®सोमेश त्रिवेदी

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