सोमेश त्रिवेदी

सोमेश त्रिवेदी Lives in Varanasi, Uttar Pradesh, India

मैं आज ढलता हुआ सूरज हूंँ, कल फिर से उभरने के लिए!

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मैं तुम्हारे प्रेम के बंधन से बंध कर राम सकल जग के बंधनों से मुक्त क्षण में हो गया, मुझ पर तुम्हारी कृपा दृष्टि यूं पड़ी हे राम सकल भय से मुक्त, भक्ति युक्त क्षण में हो गया। ©®सोमेश त्रिवेदी

#कविता #Ram  मैं तुम्हारे प्रेम के बंधन से बंध कर राम
सकल जग के बंधनों से मुक्त क्षण में हो गया,
मुझ पर तुम्हारी कृपा दृष्टि यूं पड़ी हे राम
सकल भय से मुक्त, भक्ति युक्त क्षण में हो गया।

©®सोमेश त्रिवेदी

#Ram मैं तुम्हारे प्रेम के बंधन से बंध कर राम सकल जग के बंधनों से मुक्त क्षण में हो गया, मुझ पर तुम्हारी कृपा दृष्टि यूं पड़ी हे राम सकल भय से मुक्त भक्ति युक्त क्षण में हो गया। ©®सोमेश त्रिवेदी

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कबो पगड़ी कबो चद्दर कबो पोछा नजर आइल। हर एक रूप में हमरा हमर गमछा नजर आइल।। जब से चलल बा बेमारी किरउना नाम के। मुख लंगोट के बदला हमर गमछा नजर आइल।। सोमेश त्रिवेदी😁😁 *गमछा* challenge accepted bro 😁😁

 कबो पगड़ी कबो चद्दर कबो पोछा नजर आइल।
हर एक रूप में हमरा हमर गमछा नजर आइल।।
जब से चलल बा बेमारी किरउना नाम के।
मुख लंगोट के बदला हमर गमछा नजर आइल।।

सोमेश त्रिवेदी😁😁

*गमछा* challenge accepted bro 😁😁

Neelendra Shukla भइया का एक शेर है:- कभी बारिश, कभी नौका, कभी सावन नज़र आया । तुम्हारे रूप में मुझको मेरा बचपन नज़र आया ।। इसी को पढ़ कर मैंने प्रयास किया और ये निचली पंक्तियां बनीं 😁😁 भइया क्षमा करें 😆😆😆🙏🙏

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तुम्हारी आंख में काजल की जो तिरछी ये धारी है, तुम्हें मालूम हो शायद, कि ये बरछी कटारी है। *सोमेश त्रिवेदी*

#कविता  तुम्हारी आंख में काजल की
जो तिरछी ये धारी है,
तुम्हें मालूम हो शायद, कि ये
बरछी कटारी है।

*सोमेश त्रिवेदी*

तुम्हारी आंख में काजल की जो तिरछी ये धारी है तुम्हें मालूम हो शायद, कि ये बरछी कटारी है *सोमेश त्रिवेदी*

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गांव में हो या शहर में हो चलो अच्छा है अपनों के जो नज़र में हो चलो अच्छा है, फैला है आतंक गज़ब कोरोना का तुम जो अपने घर में हो चलो अच्छा है। घर में रहें सुरक्षित रहें 🙏🙏 ©®सोमेश त्रिवेदी

#कविता #coronavirus  गांव में हो या शहर में हो चलो अच्छा है
अपनों के जो नज़र में हो चलो अच्छा है,
फैला है आतंक गज़ब कोरोना का
तुम जो अपने घर में हो चलो अच्छा है।

घर में रहें सुरक्षित रहें 🙏🙏

©®सोमेश त्रिवेदी

#coronavirus गांव में हो या शहर में हो चलो अच्छा है अपनों के जो नज़र में हो चलो अच्छा है, फैला है आतंक गज़ब कोरोना का तुम जो अपने घर में हो चलो अच्छा है। घर में रहें सुरक्षित रहें 🙏🙏 ©®सोमेश त्रिवेदी

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*राम* राम जगत के जीवन के अध्याय हैं राम हमारे मर्यादा पर्याय हैं, राम विजित हैं राम ही तो न्याय हैं राम हमारे सुंदर हैं अन्वाय हैं। राम हमारे सकल जगत के भूप हैं राम हमारे स्नेहिल सुंदर रूप हैं, राम धर्म के तारक सत्य अनूप हैं राम दंभ विध्वंशक वृहद स्वरूप हैं। राम सत्य परमेश्वर के उद्गार हैं राम हमारे सुंदर से संसार हैं, राम जगत के जीवों के आधार हैं राम ही शक्ति ऊर्जा के संचार हैं। राम पुण्य हैं राम स्वर्ग के द्वार हैं राम अहिल्या देवी के उद्धार हैं, राम मृदु हैं जंगम हैं अंगार हैं राम हमारे प्रकट गुप्त व्यवहार हैं। व्यक्त भी हैं अव्यक्त हमारे राम हैं हैं वनवासी आधीन समूचा धाम है, राम सरल हैं सकल गुणों के खान हैं राम राम हैं राम का सुंदर नाम है। ©®सोमेश त्रिवेदी

#Ram_Navmi  *राम*

राम जगत के जीवन के अध्याय हैं
राम हमारे मर्यादा पर्याय हैं,
राम विजित हैं राम ही तो न्याय हैं
राम हमारे सुंदर हैं अन्वाय हैं।

राम हमारे सकल जगत के भूप हैं
राम हमारे स्नेहिल सुंदर रूप हैं,
राम धर्म के तारक सत्य अनूप हैं
राम दंभ विध्वंशक वृहद स्वरूप हैं।

राम सत्य परमेश्वर के उद्गार हैं
राम हमारे सुंदर से संसार हैं,
राम जगत के जीवों के आधार हैं
राम ही शक्ति ऊर्जा के संचार हैं।

राम पुण्य हैं राम स्वर्ग के द्वार हैं
राम अहिल्या देवी के उद्धार हैं,
राम मृदु हैं जंगम हैं अंगार हैं
राम हमारे प्रकट गुप्त व्यवहार हैं।

व्यक्त भी हैं अव्यक्त हमारे राम हैं
हैं वनवासी आधीन समूचा धाम है,
राम सरल हैं सकल गुणों के खान हैं
राम राम हैं राम का सुंदर नाम है।

©®सोमेश त्रिवेदी

#Ram_Navmi *राम* राम जगत के जीवन के अध्याय हैं राम हमारे मर्यादा पर्याय हैं, राम विजित हैं राम ही तो न्याय हैं राम हमारे सुंदर हैं अन्वाय हैं।

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हम चंदा के एकटक निहारीला राती, आ बोलऽ कि दिनवा में सूरुज तकाई? खाली नैना मिले से पिरितिया ना होला, मिली दिल से दिल तऽ पिरितिया कहाई। सुघर देह देखलऽ ना देखलऽ भितरिया, देहिया तऽ सुघर मन करिया भेंटाई। फूटल करम ना भरम पालऽ मन में, जे किस्मत में नइखे तऽ ऊ कइसे पाईं। नींदिया जे टूटे ना टूटे सपनवा, सपनवा जे टूटल तऽ दुनिया लुटाई। खोतवा के चिरई बिलारी से यारी, तऽ ओकर भला कइसे होखी भलाई। ©®सोमेश त्रिवेदी

#कविता  हम चंदा के एकटक निहारीला राती,
आ बोलऽ कि दिनवा में सूरुज तकाई?

खाली नैना मिले से पिरितिया ना होला,
मिली दिल से दिल तऽ पिरितिया कहाई।

सुघर देह देखलऽ ना देखलऽ भितरिया,
देहिया तऽ सुघर मन करिया भेंटाई।

फूटल करम ना भरम पालऽ मन में,
जे किस्मत में नइखे तऽ ऊ कइसे पाईं।

नींदिया जे टूटे ना टूटे सपनवा,
सपनवा जे टूटल तऽ दुनिया लुटाई।

खोतवा के चिरई बिलारी से यारी,
तऽ ओकर भला कइसे होखी भलाई।

©®सोमेश त्रिवेदी

हम चंदा के एकटक निहारीला राती, आ बोलऽ कि दिनवा में सूरुज तकाई? खाली नैना मिले से पिरितिया ना होला, मिली दिल से दिल तऽ पिरितिया कहाई। सुघर देह देखलऽ ना देखलऽ भितरिया, देहिया तऽ सुघर मन करिया भेंटाई।

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