"मत पूछ इन गुलाबों ने कितने बेदर्दी से कत्ल किए हैं
मां की ममता पिता का भरोसा पहले शिकार हुए हैं
भाई बहन जो बेहद खास थे जिंदगी से बहार हुए हैं
भरोसेमंद दोस्त थे जितने भी बहानों में बीमार हुए हैं
चार दिन में सूख गए गुलाब कांटे गिरेबान में फंसे हैं
हलकाल है गुलाबों के शिकार जख्म छुपाने में लगे हैं
बबली गुर्जर
©Babli Gurjar
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