हिंदी दिवस ********* मौका था हिंदी दिवस का लेकिन | हिंदी कविता

"हिंदी दिवस ********* मौका था हिंदी दिवस का लेकिन बिडंबना की हिंदी घबराई हुईं हैं लग रहा था सब औपचारिकता हैं और डरी सहमी हिंदी कह रही थी छोड़ो न मुझे याद करना बोली मैं रहूँगा अभी लबे समय थोड़ी कमजोर सी गिरती पड़ती अपाहिज़ सी बाजार से दूर कसबो मे गांव जवार मे सरकारी स्कूलों मे हा यादो मे ©ranjit Kumar rathour"

 हिंदी दिवस 
*********
मौका था हिंदी दिवस का 
लेकिन बिडंबना की 
हिंदी घबराई हुईं हैं 
लग रहा था सब 
औपचारिकता हैं और डरी सहमी 
हिंदी कह रही थी 
छोड़ो न मुझे याद करना 
बोली मैं रहूँगा अभी लबे समय 
थोड़ी कमजोर सी 
गिरती पड़ती अपाहिज़ सी 
बाजार से दूर कसबो मे 
गांव जवार मे 
सरकारी स्कूलों मे 
हा यादो मे

©ranjit Kumar rathour

हिंदी दिवस ********* मौका था हिंदी दिवस का लेकिन बिडंबना की हिंदी घबराई हुईं हैं लग रहा था सब औपचारिकता हैं और डरी सहमी हिंदी कह रही थी छोड़ो न मुझे याद करना बोली मैं रहूँगा अभी लबे समय थोड़ी कमजोर सी गिरती पड़ती अपाहिज़ सी बाजार से दूर कसबो मे गांव जवार मे सरकारी स्कूलों मे हा यादो मे ©ranjit Kumar rathour

हिंदी दिवस

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