भीगी भीगी सड़के , शाम पूरे शबाब में है
एक मै बिखरा बिखरा और तुम्हारी ग़ज़ल किताब में है
झुकी झुकी सी उनकी नज़रे
सजदा करती हिजाब में है
तो कियु न हम भी उनको दखो
कबसे उनके ख्वाब में है
वो महलों की है रानी .चाल चंचल शोख जवानी
कियुं न लिखें हम उन पर कविता
हम भी शायर है ख़ानदानी
बोध गया में हो ध्यान
या भागलपुर पुर में गंगा स्नान
यही पर महिलाओ की मधुबनी चित्रकारी
यही पर UPSC के लिए संघर्ष जारी
इतनी कलाओं सें सुसज्जित
देखो हम बिहार में हैं
©Prabhash Chandra jha
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