White फिर से उसी शहर का सजदा करने
दिल उड़ा जा रहा, सब अता करने
फिर से उस...........................!!
रोज आता है तसव्वर में सुहाना सफर
पतली गलियों में बसी बचपन कि डगर
बनके तितली चले ये दिल दीवाना बनके
फिर से उस...........................!!
आज सांसों में लम्हों कि इक हलचल है
लौट जाने कि बेकरारी है इक उलझन है
चलो मासूम सहर में खुशी के रंग भरने
फिर से उस.............................!!
सारे रास्तों सारी गलियों को अब भी ढूंढे दिल
दुपहर में रोज भटके, खयालों में झूमे दिल
बीते लम्हों कि कहानी को बाकलम करने
फिर से उस.............................!!
राजीव
©samandar Speaks
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