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खुशियों का संसार पिता जी
जीवन के आधार पिता जी
मेरा जीवन , मेरी खुशियाँ ..
मेरा सब संसार पिता जी !
जीवन की डिगमिग पगडंडी ..
फिर भी उतरे पार पिता जी !
सूरज जैसे तपता जीवन..
तप के पारावार पिता जी !
माँ घर की दीवारों जैसी ..
घर का आंगन,द्वार पिता जी !
मुश्किलों ने खेल भी खेले ..
जीते तो हर बार पिता जी !
हर दिन इक अध्याय के जैसा..
सद्ग्रंथों का सार पिता जी !
पतित पावनी गंगा माँ की ..
अविरल निश्चल धार पिता जी !
तकलीफों के दौर में हरदम ..
मुस्काते हर बार पिता जी !
मर्यादा पुरुषोत्तम जैसे ..
राम के हैं किरदार पिता जी !
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©मनोज कौशिक
#fathers_day