इक शुरुआत करके सब अंत करना है.... अंत करके सब अनंत | हिंदी विचार

"इक शुरुआत करके सब अंत करना है.... अंत करके सब अनंत करना है.... आंखों के सपनों को मुट्ठी में भरना है.... समय की ऊष्मा में तपकर तरना है.... नवदिन के उद्भव की खातिर हर रात्रि ढ़लना है.... पुष्प हटा कर कांटों पर चलना है.... ©Shashank"

 इक शुरुआत करके सब अंत करना है....
अंत करके सब अनंत करना है....
आंखों के सपनों को मुट्ठी में भरना है....
समय की ऊष्मा में तपकर तरना है....
नवदिन के उद्भव की खातिर हर रात्रि ढ़लना है....
पुष्प हटा कर कांटों पर चलना है....

©Shashank

इक शुरुआत करके सब अंत करना है.... अंत करके सब अनंत करना है.... आंखों के सपनों को मुट्ठी में भरना है.... समय की ऊष्मा में तपकर तरना है.... नवदिन के उद्भव की खातिर हर रात्रि ढ़लना है.... पुष्प हटा कर कांटों पर चलना है.... ©Shashank

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