गुज़र गए मयकशी के ज़माने रात तन्हा ख़ामोश मयखाने ख | हिंदी शायरी

"गुज़र गए मयकशी के ज़माने रात तन्हा ख़ामोश मयखाने ख़ाली है जाम उदास है शाम बड़े याद आते हैं दोस्त पुराने दलबीर सिंह बंजारा । ©Dalbir Singh Banjara"

 गुज़र गए मयकशी के ज़माने
रात तन्हा ख़ामोश मयखाने
ख़ाली है जाम उदास है शाम 
बड़े याद आते हैं दोस्त पुराने






                                      दलबीर सिंह बंजारा 
।

©Dalbir Singh Banjara

गुज़र गए मयकशी के ज़माने रात तन्हा ख़ामोश मयखाने ख़ाली है जाम उदास है शाम बड़े याद आते हैं दोस्त पुराने दलबीर सिंह बंजारा । ©Dalbir Singh Banjara

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