Dalbir Singh Banjara

Dalbir Singh Banjara Lives in Panipat, Haryana, India

Sr Branch Head PNB, Mumbai

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बंजारा ए दिल की बहार है तू , ©Dalbir Singh Banjara

#कविता #ishq  बंजारा ए दिल की बहार है तू











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©Dalbir Singh Banjara

#ishq

11 Love

सपने तेरे गुलाम कर दिए नींदों चैन सब निलाम कर दिए , ©Dalbir Singh Banjara

#कविता #Drown  सपने तेरे गुलाम कर दिए
नींदों चैन सब निलाम कर दिए 








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©Dalbir Singh Banjara

#Drown

8 Love

फटी पोटली में सपनों का ज़िंदा रह पाना मुश्किल है आसमां छू लेंगे इक दिन इन्हे पंख लगाना सीख ले . ©Dalbir Singh Banjara

#कविता #chains  फटी पोटली में सपनों का ज़िंदा रह पाना मुश्किल है
आसमां छू लेंगे इक दिन इन्हे पंख लगाना सीख ले









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©Dalbir Singh Banjara

#chains

9 Love

मुश्किलों के दौर में, मुस्कुराना सीख ले छोटी छोटी खुशियों से भी, मन बहलाना सीख ले नमक है मुट्ठी में दुनिया की,मरहम की ले की तू आस ना कर अपने गहरे ज़ख्मों को, दिल में दफनाना सीख ले छोटी छोटी कंकड़ पत्थर तो सदियों से इन राहों का हिस्सा थे अपने कदमों की ताकत को आजमाना सीख ले छोटी छोटी फटी पोटली में सपनों का, ज़िंदा रह पाना मुश्किल है आसमां छू लेंगे इक दिन इन्हे पंख लगाना सीख ले छोटी छोटी तन्हाई बस हमसफ़र है इन बंजारा सी राहों भूली बिसरी इन राहों पर महफ़िल सजाना सीख ले . . ................... Dalbir Singh Banjara . ©Dalbir Singh Banjara

#कविता  मुश्किलों के दौर में, मुस्कुराना सीख ले 
छोटी छोटी खुशियों से भी, मन बहलाना सीख ले
नमक है मुट्ठी में दुनिया की,मरहम की ले की तू आस ना कर
अपने गहरे ज़ख्मों को, दिल में दफनाना सीख ले 
छोटी छोटी 
कंकड़ पत्थर तो सदियों से इन राहों का हिस्सा थे
अपने कदमों की ताकत को आजमाना सीख ले
छोटी छोटी
फटी पोटली में सपनों का, ज़िंदा रह पाना मुश्किल है
आसमां छू लेंगे इक दिन इन्हे पंख लगाना सीख ले
छोटी छोटी 
तन्हाई बस हमसफ़र है इन बंजारा सी राहों
भूली बिसरी इन राहों पर महफ़िल सजाना सीख ले







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©Dalbir Singh Banjara

मुश्किलें तो आनी जानी हैं

7 Love

गुज़र गए मयकशी के ज़माने रात तन्हा ख़ामोश मयखाने ख़ाली है जाम उदास है शाम बड़े याद आते हैं दोस्त पुराने दलबीर सिंह बंजारा । ©Dalbir Singh Banjara

#शायरी  गुज़र गए मयकशी के ज़माने
रात तन्हा ख़ामोश मयखाने
ख़ाली है जाम उदास है शाम 
बड़े याद आते हैं दोस्त पुराने






                                      दलबीर सिंह बंजारा 
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©Dalbir Singh Banjara

गुज़र गए मयकशी के ज़माने रात तन्हा ख़ामोश मयखाने ख़ाली है जाम उदास है शाम बड़े याद आते हैं दोस्त पुराने दलबीर सिंह बंजारा । ©Dalbir Singh Banjara

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वो जो रूठा है, मुझसे, जताता भी नहीं मेरे शिकवों को, गिलों को मनाता भी नहीं वो जो रूठा है......... मेरे हर ज़ख्म की हर मर्ज की मरहम है वो गम तो ये है के कोई दर्द बताता भी नहीं वो जो रूठा है.......... मेरा हमराज़ भी बन एहसान ना कर रूह पे मेरी हमसाया है वो मगर हाथ में आता भी नहीं वो जो रूठा है........... छोड़कर साथ, तेरा हाथ है, चलना मुश्किल मंज़िल-ए-मुकाम तक मेरा साथ निभाता भी नहीं वो जो रूठा है............ मेरे होठों के तबस्सुम की हर लकीर है वो कैसा बंजारा-ए-दिल है रुलाता भी नहीं वो जो रूठा है............ . ©Dalbir Singh Banjara

#शायरी  वो जो रूठा है, मुझसे, जताता भी नहीं
मेरे शिकवों को, गिलों को मनाता भी नहीं
वो जो रूठा है.........
मेरे हर ज़ख्म की हर मर्ज की मरहम है वो
गम तो ये है के कोई दर्द बताता भी नहीं
वो जो रूठा है..........
मेरा हमराज़ भी बन एहसान ना कर रूह पे मेरी
हमसाया है वो मगर हाथ में आता भी नहीं
वो जो रूठा है...........
छोड़कर साथ, तेरा हाथ है, चलना मुश्किल
मंज़िल-ए-मुकाम तक मेरा साथ निभाता भी नहीं
वो जो रूठा है............
मेरे होठों के तबस्सुम की हर लकीर है वो
कैसा बंजारा-ए-दिल है रुलाता भी नहीं
वो जो रूठा है............








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©Dalbir Singh Banjara

रुलाता भी नहीं

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