Rahul Roy 'Dev'

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Too much to write, So much to think, In so little time....

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आसमान में तिरंगा यूं ही लहराता रहे हे भारत, तू यूं ही सदा मुस्कुराता रहे, इस मिट्टी में बसी खुशबू आज़ादी के दीवानों की लगाऊं जब मस्तक पर तो याद करूं उनके बलिदानों की। न मिटने देंगे सहादत की बाते शहीदों के जज़्बातों की है ये सौगाते नमन उन शहीदों को खत्म की जिन्होंने आतंक की रातें, बस यूं ही जश्न – ए – आज़ादी मनता रहे हे भारत, तू सदा यूं ही मुस्कुराता रहे।। ©Rahul Roy 'Dev'

#Independence #India2021 #kavita  आसमान में  तिरंगा यूं ही लहराता रहे
हे भारत, तू यूं ही सदा मुस्कुराता रहे,
इस मिट्टी में बसी खुशबू आज़ादी के दीवानों की
लगाऊं जब मस्तक पर तो याद करूं उनके बलिदानों की।
न मिटने देंगे सहादत की बाते
शहीदों के जज़्बातों की है ये सौगाते
नमन उन शहीदों को खत्म की जिन्होंने आतंक की रातें,

बस यूं ही जश्न – ए – आज़ादी मनता रहे
हे भारत, तू सदा यूं ही मुस्कुराता रहे।।

©Rahul Roy 'Dev'
#Breakfree #voices  😊

रास्तों से गुजरती सुनसान राते सिसक पड़ा मन याद कर मरहुमियत की बाते, बंद आंखों से सुनना कभी ये सिसकियां ऐसे जैसे किसी दुखियारी की लोरिया, बेचैन न कर दे तुम्हे तुम्हारे सपनो में तुम भी न मरहूम पाओ खुद को अपनो में। जीना भूल गए जैसे ज़िंदगी के गीत सारे है ढूंढो ज़रा इनमे कौन तुम्हारे है, राते मुस्कुरा भी लेती है आंखें बचा के सबकी अपने मुस्कुराने का मतलब न निकल आए कही, वैसे अंधेरे में हर राज़ चुप जाता है इसलिए तबस्सुम से टपकता दर्द भी कहा दिखता है, ये मुस्कुराहट देख कोई बदनाम न कर जाए अपना दर्द इस रात के नाम न कर जाए, अब तो रात भी डरती है कही न कही इस बात से इसलिए चुपके से गुज़र जाती है रात में।। ©Rahul Roy 'Dev'

#muskurahat #Darknight #Zindagi #kavita  रास्तों से गुजरती सुनसान राते
सिसक पड़ा मन याद कर मरहुमियत की बाते,
बंद आंखों से सुनना कभी ये सिसकियां
ऐसे जैसे किसी दुखियारी की लोरिया,
बेचैन न कर दे तुम्हे तुम्हारे सपनो में
तुम भी न मरहूम पाओ खुद को अपनो में।

जीना भूल गए जैसे ज़िंदगी के गीत सारे है
ढूंढो ज़रा इनमे कौन तुम्हारे है,
राते मुस्कुरा भी लेती है आंखें बचा के सबकी
अपने मुस्कुराने का मतलब न निकल आए कही,
वैसे अंधेरे में हर राज़ चुप जाता है
इसलिए तबस्सुम से टपकता दर्द भी कहा दिखता है,
ये मुस्कुराहट देख कोई बदनाम न कर जाए
अपना दर्द इस रात के नाम न कर जाए,
अब तो रात भी डरती है कही न कही इस बात से
इसलिए चुपके से गुज़र जाती है रात में।।

©Rahul Roy 'Dev'

I use to be fighter I was an annihilator, I was never by anybody reared I was always feared, Those days are gone Now it feels empty & all alone, Constantly working on art of humbleness Many times showing fake happiness. I'm not that person no more That's the reason I'm crying Cuz sometimes I feel like nothing, But I don't want that person to come out Cuz if it comes out hell is coming full out. It's not funny at all You may be smiling after all, It might sound cool But I'm no fool, I know I can't control him I'm just that scared of him. ©Rahul Roy 'Dev'

 I use to be fighter
I was an annihilator,
I was never by anybody reared
I was always feared,
Those days are gone
Now it feels empty & all alone,
Constantly working on art of humbleness
Many times showing fake happiness.

I'm not that person no more
That's the reason I'm crying
Cuz sometimes I feel like nothing,
But I don't want that person to come out
Cuz if it comes out hell is coming full out.

It's not funny at all
You may be smiling after all,
It might sound cool
But I'm no fool,
I know I can't control him
I'm just that scared of him.

©Rahul Roy 'Dev'

#mylife #fighter #turningmyselfin #life #changed

9 Love

" देवव्रत से भीष्म तक" अदभुत माया, अदभुत उसकी मनमानी निषाद पुत्री ने बात हृदय में ठानी, व्याकुळ देख पिता को जो नित अश्रु बहाते कैसा पुत्र मैं अभागा, मुझसे व्यथा भी न कह पाते। निश्चय अपना बदलो पितृ–हृदय को हरसाओ, स्वीकार कर विवाह निवेदन भरतवंश अंगना महकाओ। बन भी जाऊँ रानी, रहेगी खाली ये झोली बातें सुन देवव्रत की, सत्यवती तब यह बोली। मेरे पुत्रों का क्या कभी यहां कुछ होगा हे गंगा पुत्र तुम जो भी कर लो राज्य तुम्हारा ही होगा। व्यथा के बाण लगे इतने, सुन के ये बातें सारी बोल उठे देवी तुम्हारी चिंता को दूर करता देकर एक वचन भारी, सूर्य चंद्रमा जब तक चमके, जैसे बहता यह पानी सूर्य पश्चिम से उग सके पर अटल रहेगी यह वाणी। काम पिता के जीवन आये यही हमारा कर्म हुआ पुत्रधर्म से बड़ा जगत में कहा कोई कब धर्म हुआ, साक्षी बनो हे गंगा माता और सुन लो जगत् के वासी नही बधेंगे सात वचन में, जीयेंगे बन ब्रह्मचारी। सुन शांतनु यह विकट प्रतिज्ञा, मन ही मन घबराये बोले साथ हर्ष के क्यों दुःख के बादल लाये, बहुत मनाया देवव्रत को पर छूटे न उससे उसका वचन अब तो मुक्त तभी होंगे जब समाप्त होगा जीवन। करुणा और गौरव से भर उठा शांतनु का हृदय दूंगा ऐसा आशीर्वाद हुआ जो आज एक नया सूर्योदय, हे पुत्र ! यह कठोर तपस्या, जग में तुमको देगा मान जब तक तुम न चाहो मृत्यु न आये, देता हूँ मैं यह वरदान, मृत्यु तुम्हे तभी स्पर्श कर पाएगी जब चारो ओर से हस्तिनापुर सुरक्षित हो जाएगी, प्रण एक ऐसा धारण कर, लंबी आयु तुम पाओगे कभी हुआ न कभी होगा ऐसा, भीष्म तुम्हीं कहलाओगे॥ ©Rahul Roy 'Dev'

#कविता #Inspiration #Mahabharat #Promise #bhishma  " देवव्रत से भीष्म तक"

अदभुत माया, अदभुत उसकी मनमानी 
निषाद पुत्री ने बात हृदय में ठानी,
व्याकुळ देख पिता को जो नित अश्रु बहाते
कैसा पुत्र मैं अभागा, मुझसे व्यथा भी न कह पाते।

निश्चय अपना बदलो
पितृ–हृदय को हरसाओ,
स्वीकार कर विवाह निवेदन
भरतवंश अंगना महकाओ।

बन भी जाऊँ रानी, रहेगी खाली ये झोली
बातें सुन देवव्रत की, सत्यवती तब यह बोली।
मेरे पुत्रों का क्या कभी यहां कुछ होगा
हे गंगा पुत्र तुम जो भी कर लो राज्य तुम्हारा ही होगा।

व्यथा के बाण लगे इतने, सुन के ये बातें सारी
बोल उठे देवी तुम्हारी चिंता को दूर करता देकर एक वचन भारी,
सूर्य चंद्रमा जब तक चमके, जैसे बहता यह पानी
सूर्य पश्चिम से उग सके पर अटल रहेगी यह वाणी।

काम पिता के जीवन आये यही हमारा कर्म हुआ
पुत्रधर्म से बड़ा जगत में कहा कोई कब धर्म हुआ,
साक्षी बनो हे गंगा माता और सुन लो जगत् के वासी
नही बधेंगे सात वचन में, जीयेंगे बन ब्रह्मचारी।

सुन शांतनु यह विकट प्रतिज्ञा, मन ही मन घबराये
बोले साथ हर्ष के क्यों दुःख के बादल लाये,
बहुत मनाया देवव्रत को पर छूटे न उससे उसका वचन
अब तो मुक्त तभी होंगे जब समाप्त होगा जीवन।

करुणा और गौरव से भर उठा शांतनु का हृदय
दूंगा ऐसा आशीर्वाद हुआ जो आज एक नया सूर्योदय,
हे पुत्र ! यह कठोर तपस्या, जग में तुमको देगा मान
जब तक तुम न चाहो मृत्यु न आये, देता हूँ मैं यह वरदान,
मृत्यु तुम्हे तभी स्पर्श कर पाएगी
जब चारो ओर से हस्तिनापुर सुरक्षित हो जाएगी,
प्रण एक ऐसा धारण कर, लंबी आयु तुम पाओगे
कभी हुआ न कभी होगा ऐसा, भीष्म तुम्हीं कहलाओगे॥

©Rahul Roy 'Dev'

सूर्य के उदय कि दिशा हो तुम, जीवन के गुरूत्वाकर्षण का बल हो तुम, शिशुकाल में चलने की शक्ति हो तुम, युवावस्था में स्फूर्ति की ज्योति हो तुम, शरीर वृद्ध हुआ तो बूढ़े कंधो की मजबूती तुम, मृत्यु पश्चात आत्मा को परमात्मा में विलीन करने की अंतिम प्रकाश हो तुम। हो शक्ति तुम, हो दुर्गा तुम, काली भी तुम, हमारे अंतर्मन का अभिमान हो तुम। कर्ण कर्ण में बसी है तेरी भक्ति, है तुझसे ही पूरे संसार की शक्ति। दे ऐसा आशीर्वाद हमें दूर हो सारी कठिनाई, नाश हो अंधकार का - जीवन सुखमय हो जाए। ©Rahul Roy 'Dev'

#कविता #navratri2021 #kavita  सूर्य के उदय कि दिशा हो तुम,
जीवन के गुरूत्वाकर्षण का बल हो तुम,
शिशुकाल में चलने की शक्ति हो तुम,
युवावस्था में स्फूर्ति की ज्योति हो तुम,
शरीर वृद्ध हुआ तो बूढ़े कंधो की मजबूती तुम,
मृत्यु पश्चात आत्मा को परमात्मा में विलीन
करने की अंतिम प्रकाश हो तुम।

हो शक्ति तुम,
हो दुर्गा तुम,
काली भी तुम,
हमारे अंतर्मन का अभिमान हो तुम।
कर्ण कर्ण में बसी है तेरी भक्ति,
है तुझसे ही पूरे संसार की शक्ति।
दे ऐसा आशीर्वाद हमें दूर हो सारी कठिनाई,
नाश हो अंधकार का - जीवन सुखमय हो जाए।

©Rahul Roy 'Dev'
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