santoshi das pandey

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#ज़िन्दगी #पहाड़ #mountainlove #maountainair
#ज़िन्दगी #पत्ता

#पत्ता-पत्ता बूटा-बूटा ये हाल हमारा जाने है

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तिमिर रात है, चीख पुकार है भोर की आस है, अब बन्द हो करुण क्रंदन दुःखों की विदाई हो ना बिछड़ने की बात हो फिर हो एक नया सवेरा साथ में पुरवाई हो फिर वही गान हो चेहरे पर मुस्कान हो चिड़ियों की चहक हो फूलों की महक हो सभी निरोग हों फिर उसी भोर की आस है ©santoshi das pandey

#कविता #koronawith2020 #covid19 #korona #India  तिमिर रात है, चीख पुकार है
 भोर की आस है, 
अब बन्द हो करुण क्रंदन
दुःखों की विदाई हो
ना बिछड़ने की बात हो
फिर हो एक नया सवेरा
साथ में पुरवाई हो
फिर वही गान हो
चेहरे पर मुस्कान हो
चिड़ियों की चहक हो
फूलों की महक हो
सभी निरोग हों 
फिर उसी भोर की आस है

©santoshi das pandey

महिला हो तुम, अबला नहीं, जीवनदात्री, जगनिर्माता जननी हो अबला नहीं। तुम हो तो घर है, तुम हो तो वंश है जननी हो तुम अबला नहीं। तुम्हारे आँचल में छांव है हृदय में तुम्हारे प्यार है आंगन की रौनक तुमसे जननी हो तुम अबला नहीं। कभी उठाया शस्त्र तुमने तो रानी लक्ष्मी बाई हो हाथ में उठाया कलम तो देवी सरस्वती हो रसोई की तुम ही अन्नपूर्णा हो जननी हो तुम, अबला नहीं। अपारशक्ति का भंडार हो तुम जननी हो तुम, अबला नहीं। ©santoshi das pandey

#womensday2021  महिला हो तुम, अबला नहीं,

जीवनदात्री, जगनिर्माता

जननी हो अबला नहीं।

तुम हो तो घर है, तुम हो तो वंश है

जननी हो तुम अबला नहीं।

तुम्हारे आँचल में छांव है

हृदय में तुम्हारे प्यार है

आंगन की रौनक तुमसे

जननी हो तुम अबला नहीं।

कभी उठाया शस्त्र तुमने

तो रानी लक्ष्मी बाई हो

हाथ में उठाया कलम तो देवी सरस्वती हो

रसोई की तुम ही अन्नपूर्णा हो

जननी हो तुम, अबला नहीं।

अपारशक्ति का भंडार हो तुम

जननी हो तुम, अबला नहीं।

©santoshi das pandey

ये मजबूरी का बस्ता और किलकारी कांधे पर हम ले चले उसी गांव की तरफ जहां से निकले थे दो जून की रोटी कमाने जिंदगी कि फिक्र, फिर जोड़ेगा उसी पुराने छप्पर वाले घर से उसी पुराने दरख़्त के नीचे फिर सुकून के पल गुजरेंगे रोटी कम होगी, पर खुशियां अपार हां शहर से पैसे कमाकर ही तो छप्पर की जगह घर की छत बनवानी थी हां मां की आंखों का ऑपरेशन होना था बहन की शादी के लिए तो पैसे जुटाने थे इन सपनों पर पानी तो फिर गया लेकिन उस पुराने घर से फिर जुड़ गए😢

 ये मजबूरी का बस्ता और किलकारी कांधे पर हम ले चले
उसी गांव की तरफ जहां से निकले थे दो जून की रोटी कमाने
जिंदगी कि फिक्र, फिर जोड़ेगा उसी पुराने छप्पर वाले घर से
उसी पुराने दरख़्त के नीचे फिर सुकून के पल गुजरेंगे
रोटी कम होगी, पर खुशियां अपार
हां शहर से पैसे कमाकर ही तो 
छप्पर की जगह घर की छत बनवानी थी
हां मां की आंखों का ऑपरेशन होना था
बहन की शादी के लिए तो पैसे जुटाने थे
इन सपनों पर पानी तो फिर गया
लेकिन उस पुराने घर से फिर जुड़ गए😢

#कोरोना #लॉकडाउन #कविता

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तुमसे ही जीवन में हर खुशियां हैं, तुम से ही घर में बहार है, तुम ही जीवन की डोर हो, तुम ही संसार हो बेहद खास रिश्ते से नवाजा है तुमने हां 'माँ' बनाया है मुझे तुम्हारे आने के इंतजार में गुजारे वो नौ महीने तुम्हें पाकर अपनी गोद में भूल गई थी सब पीड़ा याद है मुझे, वो यादगार दिन तुम्हारे आने का था सबको बेसब्री से इंतजार मेरी कोख से बाहर की दुनिया तुमने देखी थी पहली बार हां तुम रोए थे, बेहद धीमे तुम्हारे उस क्रंदन की आवाज ने मेरे कानों में मधुर बंशी बजाई थी तभी तुम्हें देखने की गुजारिश डॉक्टर से की थी उस दिन जो तुम रोये थे, दिल को बहुत भाय थे मगर अब तुम्हारा रोना, नहीं भाता मुझे तुम सदा मुस्कुराते रहो यही दुआ है मेरी पूरे करो सपने तुम अपने, ऊंची हो उड़ान तुम्हारी बस इक माँ की दुआ है तुम्हारी

#कविता #मां  तुमसे ही जीवन में हर खुशियां हैं,
तुम से ही घर में बहार है,
तुम ही जीवन की डोर हो, तुम ही संसार हो
बेहद खास रिश्ते से नवाजा है तुमने
हां 'माँ' बनाया है मुझे
तुम्हारे आने के इंतजार में गुजारे
वो नौ महीने
तुम्हें पाकर अपनी गोद में भूल गई थी सब पीड़ा
याद है मुझे, वो यादगार दिन
तुम्हारे आने का था सबको बेसब्री से इंतजार
मेरी कोख से बाहर की दुनिया तुमने देखी थी पहली बार
हां तुम रोए थे, बेहद धीमे
तुम्हारे उस क्रंदन की आवाज ने
मेरे कानों में मधुर बंशी बजाई थी
तभी तुम्हें देखने की गुजारिश डॉक्टर से की थी
उस दिन जो तुम रोये थे, दिल को बहुत भाय थे
मगर अब तुम्हारा रोना, नहीं भाता मुझे
तुम सदा मुस्कुराते रहो यही दुआ है मेरी
पूरे करो सपने तुम अपने, ऊंची हो उड़ान तुम्हारी
बस इक माँ की दुआ है तुम्हारी

#मां

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