Mahi Dixit

Mahi Dixit

• तू ही है जो बाकी है मुझ में, मेरा क्या है?मैं तो खत्म हो गया हूं। • स्वरचित कविताएं एवं शायरी

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White सौंधी सी खुशबू, मीठी सी बातें ! आंचल में खुशियां थी खिलती जहाँ पे ! सहिष्णुता की परिभाषा वह हर्षिता लौट आता हूं फिर मैं जहाँ पे ! था कार्तिक माह, अष्टसप्तति संवत् मेरा जीवन था बड़ा ही विदम्बत जब हृदयचक्षु से देखा उसको ये हृदय वही था अवसंवत .. वह नैन नक्श की माया सी मैं उसके मोह में दास सा हूं वह श्रीकृष्ण की गाय सी थी मैं चरवाहे की 'घास' सा हूं हूँ बिना छुए उसे प्रेम में मैं उस सम्मोहन ने साधा है वह प्रेम काम में शामिल हैं, मेरी प्रेम-काम ही बाधा है एक दिन उसको बतलाना है, क्या रत्न सा उसने खोया है पर सत्य प्रिय एक बात ही है यह हृदय बहुत ही रोया है यह हृदय बहुत ही रोया है ©Mahi Dixit

#कविता  White सौंधी सी खुशबू, मीठी सी बातें ! 
आंचल में खुशियां थी खिलती जहाँ पे !
 सहिष्णुता की परिभाषा वह हर्षिता 
लौट आता हूं फिर मैं जहाँ पे !

था कार्तिक माह, अष्टसप्तति संवत्
 मेरा जीवन था बड़ा ही विदम्बत 
जब हृदयचक्षु से देखा उसको 
ये हृदय वही था अवसंवत ..

वह नैन नक्श की माया सी 
मैं उसके मोह में दास सा हूं
 वह श्रीकृष्ण की गाय सी थी
 मैं चरवाहे की 'घास' सा हूं

हूँ बिना छुए उसे प्रेम में मैं 
उस सम्मोहन ने साधा है
 वह प्रेम काम में शामिल हैं,
 मेरी प्रेम-काम ही बाधा है

एक दिन उसको बतलाना है, 
क्या रत्न सा उसने खोया है
 पर सत्य प्रिय एक बात ही है 
यह हृदय बहुत ही रोया है
 यह हृदय बहुत ही रोया है

©Mahi Dixit

Shayri

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#शायरी  White सौंधी सी खुशबू, मीठी सी बातें ! 
आंचल में खुशियां थी खिलती जहाँ पे !
 सहिष्णुता की परिभाषा वह हर्षिता 
लौट आता हूं फिर मैं जहाँ पे !

था कार्तिक माह, अष्टसप्तति संवत् 
मेरा जीवन था बड़ा ही विदम्बत
 जब हृदयचक्षु से देखा उसको
 ये हृदय वही था अवसंवत ..

वह नैन नक्श की माया सी
 मैं उसके मोह में दास सा हूं
 वह श्रीकृष्ण की गाय सी थी
 मैं चरवाहे की 'घास' सा हूं

हूँ बिना छुए उसे प्रेम में मैं 
उस सम्मोहन ने साधा है
 वह प्रेम काम में शामिल हैं, 
मेरी प्रेम-काम ही बाधा है

एक दिन उसको बतलाना है,
 क्या रत्न सा उसने खोया है
 पर सत्य प्रिय एक बात ही है
 यह हृदय बहुत ही रोया है
 यह हृदय बहुत ही रोया है

©Mahi Dixit

हर्षिता

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White सौंधी सी खुशबू, मीठी सी बातें! आंचल में खुशियां थी खिलती जहाँ पे ! सहिष्णुता की परिभाषा वह निकिता लौट आता हूं फिर मैं जहाँ पे! था कार्तिक माह ,अष्टसप्तति संवत् मेरा जीवन था बड़ा ही विदम्बत जब हृदयचक्षु से देखा उसको ये हृदय वही था अवसंवत .. वह नैन नक्श की माया सी मैं उसके मोह में दास सा हूं वह श्रीकृष्ण की गाय सी थी मैं चरवाहे की 'घास' सा हूं हूँ बिना छुए उसे प्रेम में मैं उस सम्मोहन ने साधा है वह प्रेम काम में शामिल हैं, मेरी प्रेम-काम ही बाधा है एक दिन उसको बतलाना है, क्या रत्न सा उसने खोया है पर सत्य प्रिय एक बात ही है यह हृदय बहुत ही रोया है यह हृदय बहुत ही रोया है ©Mahi Dixit

#कविता  White सौंधी सी खुशबू, मीठी सी बातें!
आंचल में खुशियां थी खिलती जहाँ पे !
 सहिष्णुता की परिभाषा वह निकिता
 लौट आता हूं फिर मैं जहाँ पे!

था कार्तिक माह ,अष्टसप्तति संवत् 
मेरा जीवन था बड़ा ही विदम्बत
 जब हृदयचक्षु से देखा उसको
 ये हृदय वही था अवसंवत ..

वह नैन नक्श की माया सी 
मैं उसके मोह में दास सा हूं 
 वह श्रीकृष्ण की गाय सी थी
 मैं चरवाहे की 'घास' सा हूं

हूँ बिना छुए उसे प्रेम में मैं 
उस सम्मोहन ने साधा है 
वह प्रेम काम में शामिल हैं, 
मेरी प्रेम-काम ही बाधा है

एक दिन उसको बतलाना है,
 क्या रत्न सा उसने खोया है
 पर सत्य प्रिय एक बात ही है 
 यह हृदय बहुत ही रोया है
यह हृदय बहुत ही रोया है

©Mahi Dixit

वह निकिता

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सुनसान रातों में दिल पर दस्तकें देखी बहुत देखीं मगर तुम सी नहीं देखी ©Mahi Dixit

#शायरी  सुनसान रातों में दिल पर दस्तकें देखी
 बहुत देखीं मगर तुम सी नहीं देखी

©Mahi Dixit

तुम

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अभी मेरे इश्क की रवानी बाकी है, अभी मेरे कत्ल की कहानी बाकी है, और जो सोचते हैं कि खत्म हो गया हूं मैं, उनसे कह दो मेरे एक दौर की जवानी बाकी है। ©Mahi Dixit

#शायरी  अभी मेरे इश्क की रवानी बाकी है,
अभी मेरे कत्ल की कहानी बाकी है,

और जो सोचते हैं कि खत्म हो गया हूं मैं,
उनसे कह दो मेरे एक दौर की जवानी बाकी है।

©Mahi Dixit

अभी बाकी है।

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तेरे जाने पर दिल में एक मलाल था, वो अभी जिंदा है तेरे आने पर बुना एक ख्वाब था, वो अभी जिंदा है यूं तो फेर लेती है नजरें तू बेगैरतों की तरह, तेरी नजरों में जो शबाब था, वो अभी जिंदा है और तू थी मेरे हयात के एक मरहम की तरह, तूने जाते-जाते दिया जो घाव था, वो अभी ज़िंदा है। ©Mahi Dixit

#शायरी  तेरे जाने पर दिल में एक मलाल था, वो अभी जिंदा है
तेरे आने पर बुना एक ख्वाब था, वो अभी जिंदा है

यूं तो फेर लेती है नजरें तू बेगैरतों की तरह, 
तेरी नजरों में जो शबाब था, वो अभी जिंदा है

और तू थी मेरे हयात के एक मरहम की तरह,
तूने जाते-जाते दिया जो घाव था, वो अभी ज़िंदा है।

©Mahi Dixit

वो अभी जिंदा है

11 Love

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