Virat Mishra

Virat Mishra Lives in Lucknow, Uttar Pradesh, India

Head of department(management) in Mahatma Gandhi Universe Institute (7668974957).

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#ज़िन्दगी  जापान में युद्ध के दौरान यह लड़का अपने मृत भाई को दफनाने के लिए अपनी पीठ पर लाद रखा था । यह देख एक सिपाही ने उससे कहा कि तुम इस भार को यहीं उतार दे क्योंकि तू बहुत थका हुआ लगता है और आगे बढ़ने में असमर्थ है ।  जानते ही उस बालक ने क्या उत्तर दिया?  उस लडके ने कहा: यह भार नहीं है, यह मेरा भाई है!   सिपाही उसकी भावना समझ गया और बहुत रोया।  तभी से यह फोटो चित्र जापान में एकता का प्रतीक बन गई है। आज जरूरी है कि हम जीवन में इस वाक्य को आदर्श वाक्य बनाएं:
"ये भार नहीं है। ये मेरा भाई है ...  "अगर वह गिर जाए तो उसे उठा लेना, थक जाने पर उसकी मदद करना, और अगर वह कमजोर है तो उसे सहारा देना, अगर वह गलती करता है तो उसे माफ कर देना, और अगर दुनिया उसे छोड़ देती है, तो उसे अपने कंधों पर ले लो,  क्योंकि वो भार नहीं है।" .
वो तुम्हारा भाई है..!
      .....।

©Virat Mishra

जापान में युद्ध के दौरान यह लड़का अपने मृत भाई को दफनाने के लिए अपनी पीठ पर लाद रखा था । यह देख एक सिपाही ने उससे कहा कि तुम इस भार को यहीं उतार दे क्योंकि तू बहुत थका हुआ लगता है और आगे बढ़ने में असमर्थ है । जानते ही उस बालक ने क्या उत्तर दिया? उस लडके ने कहा: यह भार नहीं है, यह मेरा भाई है! सिपाही उसकी भावना समझ गया और बहुत रोया। तभी से यह फोटो चित्र जापान में एकता का प्रतीक बन गई है। आज जरूरी है कि हम जीवन में इस वाक्य को आदर्श वाक्य बनाएं: "ये भार नहीं है। ये मेरा भाई है ... "अगर वह गिर जाए तो उसे उठा लेना, थक जाने पर उसकी मदद करना, और अगर वह कमजोर है तो उसे सहारा देना, अगर वह गलती करता है तो उसे माफ कर देना, और अगर दुनिया उसे छोड़ देती है, तो उसे अपने कंधों पर ले लो, क्योंकि वो भार नहीं है।" . वो तुम्हारा भाई है..! .....। ©Virat Mishra

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तुम क्या जानो मन पर इतना बोझा कैसे ढो लेते हैं जब एकांत समय मिलता है चुपके चुपके रो लेते हैं, मेरी आँख बहुत छोटी थी तुमने सपने बड़े दिखाए , अब आँखों में राजमहल ले फुटपाथों पर सो लेते हैं। पागल है पपिहा वर्षों से स्वाति बूँद पर भटक रहा, चतुर वही हैं हाथ जो हर बहती गंगा में धो लेते हैं हम किसान के बेटे साहब दुःख सह लेने की आदत है, हम भूखे रहकर भी जग की ख़ातिर फ़सलें बो लेते हैं मोम कह रहा था वह ख़ुद को पत्थर था पत्थर निकला, समझ न आया पत्थर कैसे मोम सरीखे हो लेते हैं। ©Virat Mishra

#कविता #bike  तुम क्या जानो मन पर इतना बोझा कैसे ढो लेते हैं
जब एकांत समय मिलता है चुपके चुपके रो लेते हैं,

मेरी आँख बहुत छोटी थी तुमने सपने बड़े दिखाए ,
अब आँखों में राजमहल ले फुटपाथों पर सो लेते हैं।

पागल है पपिहा वर्षों से स्वाति बूँद पर भटक रहा,
चतुर वही हैं हाथ जो हर बहती गंगा में धो लेते हैं

हम किसान के बेटे साहब दुःख सह लेने की आदत है,
हम भूखे रहकर भी जग की ख़ातिर फ़सलें बो लेते हैं

मोम कह रहा था वह ख़ुद को पत्थर था पत्थर निकला,
समझ न आया पत्थर कैसे मोम सरीखे हो लेते हैं।

©Virat Mishra

#bike

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हाँ उसी मोहब्बत से फ़िर से गुनगुना है। ये ग़ज़ल पुरानी है,गीत भी पुराना है। बात वात ना हो तो,साथ छूट जाते हैं। यार, ये हमे अपने यार को बताना है। आ रहा है वो मिलने,कितने काम बाकी हैं। आइना भी क्या देखूं, घर भी तो सजाना है। पूछ के भी क्या होगा,देर क्यों हुई उसको। झूँठ तो पुराना है बस नया बहाना है। ❣️ ©Virat Mishra

#RaysOfHope  हाँ उसी मोहब्बत से फ़िर से गुनगुना है।
ये ग़ज़ल पुरानी है,गीत भी पुराना है।

बात वात ना हो तो,साथ छूट जाते हैं।
यार, ये हमे अपने यार को बताना है।

आ रहा है वो मिलने,कितने काम बाकी हैं।
आइना भी क्या देखूं, घर भी तो सजाना है।

पूछ के भी क्या होगा,देर क्यों हुई उसको।
झूँठ तो पुराना है बस नया बहाना है।
❣️

©Virat Mishra

#RaysOfHope

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I'm Always with you As ©Virat Mishra

 I'm Always with you As

©Virat Mishra

I'm Always with you As ©Virat Mishra

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Alone माटी की काया में तूने क्यों मगरूरियत को बोया है...... बावले,बबूल की खेती में सदा बबूल ही होया है..... हजार मर्तबा कहा देख श्मशान में आदमी अकेला ही सोया है... तन की चमक दमक में पागल हुआ मन का मेल ना धोया है.... देखा है गुजर जाने के बाद इस जमाने में किसने कितना रोया है.... ए नादां वक्त रहते संभल जा क्यूं मगरूरियत में खोया है...... सब धरा का धरा पर धरा रह जाएगा बता किसने आज तक कितना ढोया है ..... ©Virat Mishra

#alone  Alone  माटी की काया में तूने क्यों मगरूरियत  को बोया है......
बावले,बबूल की खेती में सदा बबूल ही 
होया है.....
हजार मर्तबा कहा देख श्मशान में
आदमी अकेला ही सोया है...
तन की चमक दमक में पागल हुआ
मन का मेल ना धोया है....
देखा है गुजर जाने के बाद
इस जमाने में किसने कितना रोया है....
ए नादां वक्त रहते संभल जा
क्यूं मगरूरियत  में खोया है......
सब धरा का धरा पर धरा रह जाएगा
बता किसने आज तक कितना ढोया है .....

©Virat Mishra

#alone

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बिना तेरे यूँ हर इक शाम बितानी लिख दी, मेरे महबूब तुमने ये कैसी कहानी लिख दी. जीना हर रोज मर-मर के लिख दिया तुमने, अपनी लाश हर रोज कंधों पर उठानी लिख दी. बरसों का ताल्लुक तोड़ कर पल में तुमने, हर-पल मेरे अश्कों की रवानी लिख दी. लिख दिया तंज सब दुनिया का मेरे हिस्से में, दिल की आग शोलों से बुझानी लिख दी. मुहब्बत की उम्र तुमने तो बहुत थोड़ी है लिक्खी, तुमने तो ना मिटाई जा सके वो जुदाई लिख दी. रंज़ और ग़म से भरकर मेरा दामन तुमने, मेरे हिस्से में मुहब्बत की कैसी निशानी लिख दी. कोई पूछे तेरे बारे में तो मैं उस से क्या कहूँ अब, मेरे हिस्से में तुमने ये कैसी झूठ-बयानी लिख दी..... ©Virat Mishra

#coldnights  बिना तेरे यूँ हर इक शाम बितानी लिख दी,
मेरे महबूब तुमने ये कैसी कहानी लिख दी.

जीना हर रोज मर-मर के लिख दिया तुमने,
अपनी लाश हर रोज कंधों पर उठानी लिख दी.

बरसों का ताल्लुक तोड़ कर पल में तुमने,
हर-पल मेरे अश्कों की रवानी लिख दी.

लिख दिया तंज सब दुनिया का मेरे हिस्से में,
दिल की आग शोलों से बुझानी लिख दी.

मुहब्बत की उम्र तुमने तो बहुत थोड़ी है लिक्खी,
तुमने तो ना मिटाई जा सके वो जुदाई लिख दी.

रंज़ और ग़म से भरकर मेरा दामन तुमने,
मेरे हिस्से में मुहब्बत की कैसी निशानी लिख दी.

कोई पूछे तेरे बारे में तो मैं उस से क्या कहूँ अब,
मेरे हिस्से में तुमने ये कैसी झूठ-बयानी लिख दी.....

©Virat Mishra

#coldnights

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