Asheesh Pandey

Asheesh Pandey Lives in Chandrapur, Maharashtra, India

सारस्वत विचारधारा

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#कविता

जीवन और संघर्ष

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#कविता

संघर्ष और जीवन

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#कविता  " श्वेत क्रांति 'से गांव-गांव बदल रही किसानों की तकदीर,

 खुशहाल किसान इस लक्ष्य से प्रतिबद्ध हर श्वेत क्रांतिवीर,


 श्वेत क्रांति वीरों ने हर मौसम हर कठिनाई को 

अपने फौलादी इरादों से सुगम बनाया है,

दुर्गम राहों धुंध की चादर में भी

 खुद को संकल्पित बनाया है!

तेज बौछारों बाढ़ की त्रासदी

ने भी इनके हौसलों को बढ़ाया है!


कोरोना महामारी में प्रकृति ने सब को आजमाया है,

तब कोरोना वेरियरस बन सबने करतब दिखलाया है!

सीमा पर जवानों ने जिम्मेदारी उठाई,

तो पीड़ित जनसेवा की दवाई,

डॉक्टर वैरीयरस ने घर-घर पहुंचाई।


जब महामारी ने बंद किए कल कारखाने,

महानगर छोड़ गांव बन रहे थे अब सब के ठिकाने!

असहाय परिवारों पर पड़ रही थी आर्थिक मार

ऐसे में श्वेत क्रांति बनी किसान जन सेवा आधार

अब बारी थी श्वेत क्रांति वीरों की

डेयरी के इन सजग कर्म वीरों की

इन्होंने अपनी सेवा का लोहा मनवाया 

उन्नत पशुपालन स्वच्छ दुग्ध उत्पादन

से किसान की आजीविका  पालन करवाया!

ऐसा प्रेम  और समर्पण कहां मिलेगा


जहां पशुओं को भी गंगा' गौरी' जमुना 'के नाम से बुलाते हैं,

यह परिणाम है श्वेत क्रांति वीरों की क्रांति का,


ये जहां पर जाते हैं कुछ अपनापन  लिए हुए नए रिश्ते बनाते हैं।

चाचा, दादी, दादा, माता, बहनें, यह सब से 'आशीष' पाते हैं।

 डॉक्टर साहब, रूट ऑफिसर, इंचार्ज साहब कई नामों से लोग इन्हें बुलाते हैं।

जोश जज्बा जुनून सेवा इन्हें 'श्वेत क्रांतिवीर' बनाते हैं!!



आप सभी स्वस्थ और सुरक्षित रहें।


'आशीष कुमार पाण्डेय'

©Asheesh Pandey

श्वेत क्रांतिवीर

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#ज़िन्दगी #SaferIndia

#SaferIndia विश्वास और हम

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#कविता  कभी अहंकार 'रावण' को भी आया था
खुद को शीर्ष समझ जाने कितनों को धमकाया था
हां ठीक तुम्हारी तरह उसने भी तानाशाही रवैया अपनाया था!!
उसकी   हठता    ने 
सारा साम्राज्य मिटाया था
समय रहते अपने पराए का ज्ञान
वह ना कर पाया था
अपने शुभचिंतक 'भाई' को भी अपना 'बैरी' बताया था
फिर क्या 'काल' उसके सर पर छाया था
सर्वनाश होने के बाद  वह भी 'राम'-'राम' चिल्लाया था।

हे मानव तू क्यों इतराता है
यश मान कीर्ति सब छलावा है
यह अहंकार एक धधकता हुआ 'लावा' है
और यह लावा एक दिन खुद धधक कर ठंडा हो जाता है।
लेकिन अपने आसपास सब कुछ जला कर राख कर जाता है।!

तेरा अहंकार तुझे मुबारक हो
ऐसा भी वक्त आएगा
जो तुझे सबक सिखाएगा
सिवाय पछतावे के तेरा सब मिट जाएगा!!
'आशीष' तो एक फकीर है

कंधे पर झोला टांग लिया है

आज यहां तो कल कहीं और चला जाएगा !!

शायद कोई शागिर्द तुझे फिर समझाएगा
लेकिन तब तक बहुत देर हो जाएगा

हे मानव तू बेमौत मारा जायेगा।।

हां विनाश रावण के सर पर भी छाया था
उसने भी लंका दहन करवाया था

अहंकार कभी 'रावण' को भी आया था!!!

'आशीष पाण्डेय'

©Asheesh Pandey

अहंकार

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बेपनाह मोहब्बत को मंजर नहीं मिलता है जो दे सुकून 'आशीष 'को वह इश्क समंदर नहीं मिलता है! जब तक संगे दिल सनम न हो आगोश में इस बेताब दिल को चैने सुकूं नहीं मिलता है!! मदहोश है दिल उनकी यादों में थमा है वक्त का दरिया निगाहों में हर वक्त उनका साया चलता है! हर अश्क में 'आशीष' के बस उनका ही प्यार पनपता है। बेपनाह मोहब्बत को मंजर नहीं मिलता है! ©Asheesh Pandey

#कविता  बेपनाह मोहब्बत को मंजर नहीं मिलता है
जो दे  सुकून 'आशीष 'को
 वह इश्क समंदर नहीं मिलता है!
जब तक संगे दिल सनम न हो आगोश में
इस बेताब दिल को चैने सुकूं नहीं मिलता है!!
मदहोश है दिल उनकी यादों में 
थमा है वक्त का दरिया 
निगाहों में हर वक्त उनका साया चलता है!
हर अश्क में 'आशीष' के बस उनका ही प्यार पनपता है।
बेपनाह मोहब्बत को मंजर नहीं मिलता है!

©Asheesh Pandey

आगोश

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