कन्या भ्रूणहत्या जैसी कुकरनी पर जागरूकता भरा यह गीत जल्द ही SLR World Of Imagination यूट्यूब चैनल और फेसबुक पेज पर प्रकाशित होगा।
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खरोंच लेता हूं अक्सर जिस्म पर लगे इन घावों को,
क्यों कि इन्हें हमेशा हमेशा के लिए ताज़ा रखने हैं,
इसलिए नहीं कि मुझे जख्म से मोहब्बत हो गई हैं,
बल्कि इस लिए कि ये ज़ख्म देने वाले मेरे अपने हैं।।
कवि सत्यनारायण स्वदेशी
चित्तौड़गढ़
कौन कहता हैं छलनी में पानी आ नहीं सकता,
तूं उसे जीरो डिग्री ठंडा करके तो देख।
कहते हैं पाषाण ईश्वर बन नहीं सकता,
कभी छीनीं हथौड़े की चोटें देकर तो देख।।
#कवि_सत्यनारायण_स्वदेशी
चित्तौड़गढ़ 75979 76263
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