*घर से दूर रहकर भी वो क़रीब ही मेरे रहतीं हैं*
"सब ठीक हैं" अक्सर वो रोते हुये कहतीं हैं
*मेरी मायूसी की वजह चाहें जो भी रही हो*
मेरे हौसलों के सैलाबों में अश्कों सा वो बहती हैं
*माँ हैं वो मेरी किसी परवाह की मोहताज नहीं*
चोट मुझको लगती हैं और हिस्से का दर्द वो सहती हैं
- शशांक
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