suyash dubey

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तमाम जान के दुश्मनों का भरमार है यहां, हजारो शिकायतों का भंडार है यहाँ., फिर भी शौक से रहता हूं उस भारत, उस हिन्दुस्तान में, जिसकी खुशबू भी जान से प्यारी है जहां.

#ओ  तमाम जान के दुश्मनों का भरमार है यहां, हजारो शिकायतों का भंडार है यहाँ.,
फिर भी शौक से रहता हूं उस भारत, उस हिन्दुस्तान में, जिसकी खुशबू भी जान से प्यारी है जहां.

#ओ मेरे वतन....

5 Love

नादान कमजोर रोशनी जरा सी पानी की गहराई न देख सकी, ये वही इश्क है ,हा ये वही इश्क है प्यारे, जो बेईमान मोहब्बत को समझ ना सकी..

#बेईमान  नादान कमजोर रोशनी जरा सी पानी की गहराई 
न देख सकी,
ये वही इश्क है ,हा ये वही इश्क है प्यारे, जो बेईमान मोहब्बत को समझ ना सकी..

#बेईमान इश्क.....

2 Love

#आस्तित्व #Nojotovoice   #NojotoVoice

#आस्तित्व या सिर्फ नाम है नारी...

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#अस्तित्व #Nojotovoice   #NojotoVoice

#अस्तित्व या सिर्फ नाम है नारी...

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#अस्तित्व है या सिर्फ़ नाम है नारी... लूटती आबरू, बहते आँसू, गूंजती चीखे , हरण हो रहे चीर औऱ जान. बलात्कार ,हाहाकर, आत्याचार ,मुख मौन , सन्नाटा ,चुप्पी साधे भारत के वीर और नवजवान. सीस झुके,केश बिखरे, काजल सारे भह गए, मन निराश ,चीखे आत्मा,कुहांर खाली रह गए, ना रिश्ता,ना विस्वास,ना उम्मीद, और नाही कोई बचाव, बन सौदागर,मतलबी व्यापार,यहां नारी तन का भी भाव. तरसते,भीख मांगते और इंतजार करते न्याय का, हरास जिस्म,हताश चेहरे है मोहताज तारीख का. आत्मनिर्भरता,बचाव,नारी सक्ति,आत्मसम्मान, सुरक्षा ,शिक्षा,का करते नारी पे नारे, हर दिन अहसास होता जब नजरअंदाज हो जाते कुछ के वादे और ये बातें सारे. कैसे हा कैसे मानलू अब भी आजाद हैं ये, रक्षा नही पर बेडियों का बंधन बांधते हैं वे. नारी-नारी-नारी ये शीर्षक ही क्यों ले अक्सर, क्या अगर रहेगी महफूज़ तेरे घर या मेरे घर....

#अस्तित्व  #अस्तित्व है या सिर्फ़ नाम है नारी...

लूटती आबरू, बहते आँसू,
गूंजती चीखे , हरण हो रहे चीर औऱ जान.
बलात्कार ,हाहाकर, आत्याचार ,मुख मौन , सन्नाटा ,चुप्पी साधे भारत के वीर और नवजवान.
सीस झुके,केश बिखरे, काजल सारे भह गए,
मन निराश ,चीखे आत्मा,कुहांर खाली रह गए,
ना रिश्ता,ना विस्वास,ना उम्मीद, और नाही कोई बचाव, बन सौदागर,मतलबी व्यापार,यहां नारी तन का भी भाव.
 तरसते,भीख मांगते और इंतजार करते न्याय का,
हरास जिस्म,हताश चेहरे है मोहताज तारीख का.
आत्मनिर्भरता,बचाव,नारी सक्ति,आत्मसम्मान,
सुरक्षा ,शिक्षा,का करते नारी पे नारे,
हर दिन अहसास होता जब नजरअंदाज हो जाते कुछ के वादे और ये बातें सारे.
कैसे हा कैसे मानलू अब भी आजाद हैं ये,
रक्षा नही पर बेडियों का बंधन बांधते हैं वे.
नारी-नारी-नारी ये शीर्षक ही क्यों ले अक्सर,
क्या अगर रहेगी महफूज़ तेरे घर या मेरे घर....

#अस्तित्व है या नाम है नारी...

5 Love

तहज़ीब से मोहब्बत की ,तहज़ीब में ही रहना , वरना तेरी आंसुओं को भी जगह नही मिलेगी, उन आंखों में भरने को...

#mohabbat  तहज़ीब से मोहब्बत की ,तहज़ीब में ही रहना ,
वरना तेरी आंसुओं को भी जगह नही मिलेगी, उन आंखों में भरने को...

#mohabbat asi bhi...

4 Love

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