#अस्तित्व है या सिर्फ़ नाम है नारी...
लूटती आबरू, बहते आँसू,
गूंजती चीखे , हरण हो रहे चीर औऱ जान.
बलात्कार ,हाहाकर, आत्याचार ,मुख मौन , सन्नाटा ,चुप्पी साधे भारत के वीर और नवजवान.
सीस झुके,केश बिखरे, काजल सारे भह गए,
मन निराश ,चीखे आत्मा,कुहांर खाली रह गए,
ना रिश्ता,ना विस्वास,ना उम्मीद, और नाही कोई बचाव, बन सौदागर,मतलबी व्यापार,यहां नारी तन का भी भाव.
तरसते,भीख मांगते और इंतजार करते न्याय का,
हरास जिस्म,हताश चेहरे है मोहताज तारीख का.
आत्मनिर्भरता,बचाव,नारी सक्ति,आत्मसम्मान,
सुरक्षा ,शिक्षा,का करते नारी पे नारे,
हर दिन अहसास होता जब नजरअंदाज हो जाते कुछ के वादे और ये बातें सारे.
कैसे हा कैसे मानलू अब भी आजाद हैं ये,
रक्षा नही पर बेडियों का बंधन बांधते हैं वे.
नारी-नारी-नारी ये शीर्षक ही क्यों ले अक्सर,
क्या अगर रहेगी महफूज़ तेरे घर या मेरे घर....
Continue with Social Accounts
Facebook Googleor already have account Login Here